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________________ 44. आवश्यकनिर्युक्ति आवश्यक नियुक्ति आचार्य भद्रवाहु की सर्वप्रथम कृत्ति है। यह विषयवैविध्य की दृष्टि से अन्य नियुक्तियों की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण है। इस पर जिनभद्र, जिनदासगणि, हरिभद्र, कोट्याचार्य, मलयगिरि, मलधारी हेमचन्द्र, माणिक्यशेखर प्रभृति आचार्यों ने विविध व्याख्याएँ लिखी हैं। आवश्यक निर्युक्ति की गाथा - संख्या भिन्न-भिन्न व्याख्याओं में भिन्न-भिन्न रूपों में मिलती है। आवश्यक नियुक्ति आवश्यकसूत्र के सामायिकादि छः अध्ययनों की सर्वप्रथम पद्यबद्ध प्राकृत व्याख्या है। इसके प्रारम्भ में उपोदघात है जो प्रस्तुत नियुक्ति का बहुत ही महत्त्वपूर्ण अंग है। इसमें ज्ञानपंचक, सामायिक, ऋषभदेव - चारित्र, गणधरवाद, आर्यरक्षित - चरित्र निन्हव मत (सप्त निन्हव) आदि का संक्षिप्त विवेचन किया गया है। ऋषभदेव के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं के वर्णन के साथ ही उस युग से सम्बन्धित आहार, शिल्प, कर्म, ममता, विभूषणा, लेखन, गर्णित रूप, लक्षण, मानदण्ड, पोत, व्यवहार, नीति, युद्ध, इषुशास्त्र, उपासना, चिकित्सा, अर्थशास्त्र, बन्ध, घात, ताडना, यज्ञ, उत्सव, समवाय, मंगल, कौतुमक, वस्त्र, गंध, माल्य, अलंकार, चूला, उपनयन, विवाह दत्ति, मृतक - पूजन, ध्यापन, स्तूप, शब्द, खेलापन और पृच्छन-इन चालीस विषयों का भी निर्देश किया गया है। धर्मचक्र का वर्णन करते हुए नियुक्तिकार ने बताया है कि बाहुबली ने अपने पिता ऋषभदेव की स्मृति में धर्मचक्र की स्थापना की थी । उपोद्घात के बाद नमस्कार, चतुर्विंशतिस्तव, वंदना, प्रतिक्रमण, कायोत्सर्ग, प्रायश्चित्त, ध्यान, प्रत्याख्यान आदि का निक्षेप-पद्धति से व्याख्यान किया गया है। नमस्कार - प्रकरण में अर्हत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु के स्वरूप का भी विचार किया गया है। भद्रबाहु की दस निर्युक्तियों में आवश्यकनिर्युक्ति का स्थान प्रथम है। इसमें अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसके बाद की नियुक्तियों में उन विषयों की चर्चा न कर आवश्यक निर्युक्ति को देखने का संकेत किया गया है। इसमें सर्वप्रथम उपाद्घात है जो भूमिका के रूप में है। उसमें 880 गाथाएँ हैं। प्रथम पाँच ज्ञानों का निरूपण है। अभिनिबोधिक ज्ञान के अवग्रह, ईहा, अवाय और धारणा ये चार भेद हैं। 30 D प्राकृत रत्नाकर
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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