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________________ महाभाष्यप्रदीप के व्याख्याकार ४६९ १८४०-१८७२ तक भारतवर्ष में रहा था।' अतः नागेश भट्ट सं० १७३० से १८१० वि० के मध्य रहा होगा। ___ इससे अधिक हम नागेश भट्ट के विषय में कुछ नहीं जानते । यह कितने दुःख की बात है कि हम लगभग २०० वर्ष पूर्ववर्ती प्रकाण्ड पण्डित नागेश भट्ट के इतिवृत्त से सर्वथा अपरिचित हैं । अन्य व्याकरण-ग्रन्थ नागेशभट्ट ने 'महाभाष्यप्रदीपोद्योत' के अतिरिक्त व्याकरण के निम्न ग्रन्थ रचे हैं१. लघुशब्देन्दुशेखर ५. परमलघुमञ्जूषा २. बृहच्छब्देन्दुशेखर ६. स्फोटवाद ३. परिभाषेन्दुशेखर ७. महाभाष्यप्रत्याख्यान४. लघुमञ्जूषा संग्रह इनका वर्णन इस इतिहास में यथाप्रकरण किया जायगा । नागेश भट्ट ने व्याकरण के अतिरिक्त धर्मशास्त्र, दर्शन, ज्योतिष, अलंकार आदि अनेक विषयों पर ग्रन्थ रचे हैं। उद्योतव्याख्याकार-वैद्यनाथ पायगुण्ड (सं० १७५०-१८२५ वि०) नागेश भट्ट के प्रमुख शिष्य वैद्यनाथ पायगुण्ड ने महाभाष्यप्रदीपोद्योत की 'छाया' नाम्नी व्याख्या लिखी है.। यह व्याख्या केवल नवाह्निक पर उपलब्ध होती है । इसका कुछ अंश पं० शिवदत्त शर्मा ने निर्णयसागर यन्त्रालय बम्बई से प्रकाशित महाभाष्य के प्रथम भाग २० में छापा है। वैद्यनाथ का पुत्र बालशर्मा और मन्नुदेव था। बालशर्मा ने कोलन क साहब की आज्ञा, तथा धर्मशास्त्री मन्नुदेव और महादेव की सहायता से 'धर्मशास्त्रसंग्रह' रचा था । बालशर्मा नागेश भट्ट का शिष्य और कोलब्रक से लब्धजीविक था, यह हम पूर्व लिख चुके हैं। २५ . १. 'सरस्वती' जुलाई १९१४, पृष्ठ ४०० । २. इसका एक हस्तलेख 'काशी के सरस्वती भवन के पुस्तकालय' में है, उसकी प्रतिलिपि हमारे पास भी है । अव यह वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय की 'सारस्वती सुषमा' में छप चुका है।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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