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________________ (xli) सं० - क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक सं० । सं० सं० ७०१. विमान का स्थान व नाम ७६१ / ७२५ शक्रेन्द्र के मोक्ष गमन के विषय ८४२ ७०२ आज्ञावर्ती देव कितने, कौन ७६२/७२६ ईशान देव लोक का वर्णन ८४४ ७०३ वरूण देव द्वारा दक्षिणार्द्ध ७६४ | ७२७ पाँच अवतंसक विमानों के ८४५ जम्बूद्वीप के पदार्थ का ज्ञान स्थान व नाम ७०४ सामान्य लोक में ख्याति ७६६ | ७२८ ईशानवतसंक विमान-उपपात ८४७ ७०५ किन देवों के पुत्र समान है ७६७ शय्या ७०६ पुत्रं देवों का परिचय - ७६६ | ७२६ ईशानेन्द्र का पूर्वभव ८४६ ७०७ वरूण देव की स्थिति ८०२ | ७३० तामली का दीक्षा स्वीकार ८५५ -७०८ चतुर्थ लोकपाल वैश्रमण देव करना ... का वर्णन . प्राणों में दीक्षा किसे कहते है ८५६ -- ७०६ विमान का स्थान व नाम |७३२ ६०,००० वर्ष तप किसने किया ८५८ ७१० आज्ञावर्ती कैसे है ७३३ तामलि तापस के अनशन के ८६१ ११ पदार्थों का ज्ञान ... ८०७ विषय में ७१२ कौन देव पुत्र समान है । ८१२/७३४ असुर देव-देविओं से तामलि ८६४ : ७१३. कुबेर देव पाल के क्या कार्य है.८१४] तापस की प्रार्थना १४ दानवीर कुबेर .. ८१६/७३५ तामली तापस ईशानेन्द्र हुआ ८७१ . ७१५ कुबेर देव की स्थिति ८१७/७३६ असुर देवों की तामली तापस ८७४ .७१६ शास्त्र के अनुसार लोकपालों ८१८ से की गई विडम्बना ... का आयुष्य |७३७ . ईशानेन्द्र ने बलि चंचा नगरी ८७७ - • ७१७ चारों लोक पालों के पुत्र देव ८१६ को दुसह बनाया ७१८ इन्द्र महाराज का आनन्द ८२० / ७३८ ईशानेन्द्र से क्षमा माँगी '७१६ इन्द्र द्वारा गुणवान की प्रशंसा ८२४ | ७३६ ईशानेन्द्र द्वारा शक्ति संहरण ८८५ ७२० इन्द्र महाराज किस रीति से ८२६/७४० अज्ञान तप निष्फल नहीं जाता ८८६ जिनेश्वर की पूजा करते है ७४१ त्रायत्रिंश देवों के पूर्व भव के ८६३ ७२१ इन्द्र महाराज का वीर भगवान ८२७ विषय में को निवेदन |७४२ सामानिक तथा आत्म रक्षक ८६५ ७२२ इन्द्र महाराज की विशेषता ८२६ देव कितने - ७२३ शक्र ने वीर प्रभु को पाँच ८३३/७४३ तीन पर्षदा के देव-देवियों अवग्रह बताये की संख्या ७२४ शक्रेन्द्र द्वारा मुनियों कोअवग्रह ८३६/७४४ तीन पर्षदा के देव-देवियों द की अनुज्ञा का आयुष्य ८८१
SR No.002273
Book TitleLokprakash Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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