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________________ शुभ सं. २०१७ कार्तिक सुदि १५ गुरुवार तारीख ३ - ११-६० को श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में पिछले चार-छः रोज से परम व्याख्यान वाचस्पति जैनाचार्य श्री श्रीश्री १००८ श्री मद्विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का स्वास्थ्य बराबर नहीं चल रहा था। चार रोज से श्री मांगीलालजी छाजेड़ श्री मोहनखेड़ा में ही रुके थे और आस-पास के सभी गुरु भक्तों को भी समाचार भेजकर बुला लिया था। .. कार्तिक पूनम को सुबह नव बजे परम पूज्य आचार्य श्री ने आदेश देकर सम्पूर्ण मुनि मंडल को अपने पास बुलाया। पूज्य मुनिराज श्री विद्याविजयजी, मुनिराज श्री सागरविजयजी, श्री मुनिसज सौभाग्यविजयजी, मुनिराज श्री शांतिविजयजी, मुनिराज श्री देवेन्द्रविजयजी, मुनिश्री जयन्तविजयजी, मुनि श्री जयप्रभविजयजी मुनि श्री पुण्यविजयजी, मुनि श्री. भुवनविजयजी, मुनि श्री. लक्ष्मणविजयजी आदि मुनिमंडल एवं जैनभिक्षु रंगविजयजी आदि मुनि मंडल एवं से श्री उदयभानजी, श्री सांकलचंदजी बाली वाले, श्री पन्नालालजी लोढा व मिश्रीलालजी सेठ टाण्डा, श्री केशरीमलजी बाग, श्री सौभाग्यजी कुक्षी, श्री रतनलालजी खजांची, श्री केशरीमलजी अम्बोर, श्री सौभाग्यमलजी पुराणी, श्री समीरमलजी पुराणी, श्री रतनलाल दीपचन्दजी. श्री चम्पालालजी बाफना, श्री हीराचंदजी भण्डारी, श्री गैंदालालजी मेहता, श्री भागचंदजी छाजेड़, श्री सागरमलजी सेठ राणापुर, श्री सौभागचंदजी सेठिया वकील, निम्बाहेड़ा, श्रीसमीरमलजी भण्डारी झाबुआ, श्री हीरालालजी लोढ़ा जावरा, हकमीचंदजी ललवानी जावरा, जेठमलजी रुणवाल जावरा, बालचंदजी मेहता जावरा, श्री मांगीलाल छाजेड़ धार, श्री मूलचंदजी रिंगनोद, श्री राजमलजी जमीदार, व्यवस्थापक मोहनखेड़ा तीर्थ आदि श्रीसंघ प्रतिनिधि गुरुदेव के सम्मुख बैठे हैं। .
SR No.002268
Book TitleGunanurag Kulak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay
Publication Year1997
Total Pages328
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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