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________________ घातिकर्मों का क्षय अरिहंत और सामान्य केवली २. समवसरण समवसरण का अभिप्राय समवसरण के प्रकार प्राकार-निर्माण में नियोजित देव एवं द्रव्य प्राकार-त्रय के स्वरूप एवं मान समवसरण सोपान एवं वापिकाएं दिगम्बर-मान्यता तृतीय प्राकार का आभ्यंतर स्वरूप नव सुवर्ण-कमल, चतुर्मुखत्व अरिहंत द्वारा प्रदक्षिणा-विज्ञान को दक्षिणा अरिहंत द्वारा नमस्कार : सृष्टि में शुभ का आविष्कार बारह पर्षदा : श्वेताम्बर-दिगम्बर मान्यताएं साधु-साध्वियों के आगमन की आवश्यकता बालविधान समवसरण कब और कितने समय में रचा जाता है? अरिहंत का बाह्यवैभव १८ दोष रहितता १२ गुण अष्ट महाप्रातिहार्य ३४ अतिशय वाणी के ३५ गुण ४. देशना देशना समय देशना की आवश्यकता एवं परिणाम देशना का स्वरूप ५. त्रिपदी त्रिपदी का स्वरूप [३०]
SR No.002263
Book TitleArihant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreji
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1992
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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