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आत्मा को एक, अकर्ता, वेद्य, नित्य, निष्क्रिय, निर्गुण, निर्लिप्त मानने वाले । जगत को यादृच्छिक मानने वाले ।
जगत को स्वभावजन्य मानने वाले । जगत को देवकृत मानने वाले ।
नियतिवादी - आजीवक ।
तीसरे अध्ययन में अदत्तादान (चोरी) का स्वरूप बतलाया गया है और उसके गुण निष्पन्न तीस नाम दिए हैं । आगे विस्तार से बताया है कि चोरी करने वाले समुद्र, जंगल आदि स्थानों में किस तरह लूटते हैं। संसार को समुद्र की उपमा दी गई है । अदत्त का फल बताते हुए कहा है कि चोरी करने वाले नरक और तिर्यंच गति में जन्म लेकर नाना प्रकार के दुःख उठाते हैं । संसार में विभिन्न प्रसंगों पर होने वाली विविध चोरियों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
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चौथे अध्ययन में अब्रह्म का वर्णन है । इसमें अब्रह्म का स्वरूप बताकर यह कहा है कि इसे जीतना बड़ा कठिन है। इसके गुण निष्पन्न तीस नाम बताए हैं तथा सभी प्रकार के भोगपरायण लोग, देव-देवियों, चक्रवर्तियों, वासुदेवों, मांडलिक राजाओं एवं इसी प्रकार के अन्य व्यक्तियों के भोगों का वर्णन किया गया है। जो इन भोगों में फँसते हैं, वे अतृप्त अवस्था में ही काल धर्म को प्राप्त होकर विभिन्न निकृष्ट नरक तिर्यंचादि योनियों में जन्म लेकर अनेक प्रकार के दुःख भोगते हैं ।
पाँचवाँ अध्ययन परिग्रह आस्रव के विवेचन का हैं। इसमें परिग्रह का स्वरूप बताते हुए संसार में जितने प्रकार का परिग्रह होता है, या दिखाई देता है, उसका सविस्तार निरूपण किया गया है। संचय, उपचय, निधान, पिण्ड आदि परिग्रह के तीस
निष्पन्न नाम है। इनमें सभी प्रकार के परिग्रह का समावेश हो जाता है । लोभ के वशीभूत होकर लोग कई प्रकार का अनर्थ करते हैं। अध्ययन के उपसंहार में बतलाया है कि इसमें फँसने से सुख प्राप्त नहीं होता, अपितु संतोष से ही सुख की प्राप्ति होती
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द्वितीय श्रुतस्कंध में प्रथम श्रुतस्कंध के प्रतिपक्षी तत्वों का कथन है । इसके प्रथम अध्ययन में अहिंसा का स्वरूप बतलाया गया है । अहिंसा समस्त प्राणियों का क्षेमकुशल करने वाली है । दया, अभया, शांति आदि अहिंसा के तीस गुण निष्पन्न नाम हैं | अहिंसा भगवती को आठ उपमाएँ दी गई हैं। इसमें अहिंसा पोषक विविध अनुष्ठानों एवं पाँच भावनाओं का निरूपण है ।
द्वितीय अध्ययन में सत्य रूप संवर का निरूपण है । इसमें सत्यवचन का स्वरूप बतलाकर उसका प्रभाव बतलाया गया है । प्रस्तुत प्रकरण में निम्नलिखित सत्यों का निरूपण किया गया है - जनपद सत्य, संमत सत्य, स्थापना सत्य, नाम सत्य,
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