SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 178
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री देलुल्लापुरस्तोत्रादि-मंत्रविधिसहितानि [१७१ पारसपीपल सुठि नागकेसर वद्दारह संधसर हरिघरिणीपत आसीधीय खंडह । दारुहलदह एगचिभि संवाघयलेहणी . सूइयाभूवचसेणि पावइ निरुकारणे ॥१७॥ संधेसरानां पान तुलछिपत्र नागकेसर टांक १२ पारसपीपल टांक १२ फल आसधि टांक १२ खांडटांक १२ वृद्वरु टांक १२ सुठ टांक ५२ दारुहलद टांक १२ एकवर्णगायना घीश्रु अवलेहि किजइ टांक ३ दीन २ प्रभइ कीलइ अपत्य प्राक हुइ ।।१६।। विहज विहिकयं वह्मि अमंत्रतंत्तमहारोग __पणासण हिमवंत्तमंत्तहिनिरपाण तहसुलनीग्रीवारण । उत्तरवारुणि मूलदेव कज्जनीत्तजण दाढंतरि ___संठ वणे सा निव वासि तुह कित्राणि ॥२०॥ . ' - श्रीं ह्रीं ऐं क्रों नमः एषा व्रामीपंचागलि हिमवंतस्य उतरे पार्श्व अश्वकणे मेहादुमः तत्र र शुलमुत्पंन तीव निधनं गत अनया नाघया २१ पानियमभिमंत्र्य पाय्यत उतरवार उतर च्यरुणमुल विधगृहित्वं जिन प्रतिष्टाजीन्मेकत्र मेलइत्वा नेत्रांजने दंष्टामध्ये स्थापने वृपवश्यं ।।२०।। ... पणसंति पखालनीर आंबील एकवीसा - नियकुलव्यंत्तरदोस दमइ तखणि निसेसा। .' मुहमंदिरमभिमंत्तिउण मुहमंदिरमंत्तइ . . सयलसहासजणरंजणि कव्वयकरसित्तई ।।२१।। सिद्धचक्र सु जंत्र पंचमो ज्ञेय जंत्रचतुष्व ॥ ॐ ह्रीं श्री कीर्तिमुषमंदिरे स्वाहा एन मंत्रां वार २१ लब्धोपरि हस्तउ वाह्यते ॥२१॥ ॐनमउ इदंगीमंत्ति पुण पाः सह मंतिण ___ अभिमंतिअ सोवीरनीर पसमई जहवलूण। अरिदहखरजावि होइलछीकुलमन्दिर .. पासपसाइं तुह जिणदनखंछिअ सूदर ॥२२।।
SR No.002243
Book TitleMantrakalpa Sangraha tatha Gandhar Jayghoshstotradi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherMandavala Jain Sangh
Publication Year1974
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy