________________
किंचि सूअणं । पारंभे एत्य 'मयो,' 'हिअये' आइ-पओगेसु ए-ओ सरा 'य'-आवरिआ आगया, किंतु अवण्ण-भिन्न-सरा 'य-अणावरिआ-नग्गा एव सोहेज।
ए-ओ सराण पच्छा 'अ'-लोवरूवसंधी पुब्बपायय-गंथेसु वि उपलब्भइ, तयणुसारेण एत्थावि आइम-पयरणदुगे केसुइ पओगेसु दीसइ, परंतु तस्संधि-अकरणमेव सुंदरं ।
पढमेमु वेमु पयरणेमु एत्थ थेव-पओगेसु सरपच्छा 'च-पओगो आगओ; किंतु सर-पच्छा . जहोचिंअं 'अ-पभोगो अहब 'य'-पभोगो · सोहेज्ज; 'च'-पोगो उ अणुस्सार-पच्छा
सुंदरो। संसोहणिजं जं किंचि एत्य पावेज कोधिमा । अवस्सं मे निवेएज, इअ पत्येमि संजलिं ॥
नायविजओ।