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________________ वहां से विहारकर प्रमु कलंबुक नामक गांव में गये। वहां मेघ और कालहस्ति नाम के दो भाई रहते थे। उस समय चोरों को पकड़ने के लिए कालहस्ती जा रहा था। महावीर स्वामी और गौशालक को उसने चोर समझा और पकड़कर भाई के सामने खड़ा किया। मेघ महावीर को पहचानता था, इसलिए उसने उन्हें छोड़ दिया। महावीर स्वामी ने अवधिज्ञान से जाना कि, अब तक मेरे बहुत से कर्म बाकी है। वे किसी सहायक के बिना नाश न. होंगे। आर्य देश में सहायक' मिलना कठिन जान उन्होंने अनार्य देश में विहार करना स्थिर किया। ___ कलंबुक गांव से विहार कर प्रभु क्रमशः अनार्य लाट देश में पहुंचे। लाट देश के निवासी क्रूरकर्मी थे। उन्होंने महावीर के ऊपर घोर उपसर्ग किये। उपसर्गो को शांति से सहकर महावीर ने अनेक अशुभ कर्मों की निर्जरा की। गोशालक ने भी प्रभु के साथ अनेक कष्ट सहे। ___पूर्ण कलश नामक गांव में जाते समय चोर मिले। चोरों ने अपशकुन हुए जान दोनों को मारने के लिए तलवार निकाली। इंद्र ने चोरों को मार डाला। भद्दिलपुर में पांचवां चौमासा : पूर्ण कलश से विहार कर प्रभु भद्दिलपुर आये। पांचवां चौमासा वहीं चौमासी तप (चार महीने का उपवास) करके बिताया। चौमासा समाप्त होने पर तप का पारणा कर वहां से प्रभु कदली सहायक का अर्थ उपसर्ग-कर्ता है। जितने अधिक उपसर्ग होते हैं उतने ही अधिक जल्दी कर्मों का नाश होता है। शर्त यह है कि उपसर्ग शांति से सहे जायें। 2. कल्पसूत्र में 'भद्रिकापुरी' और विशेषावश्यक में 'भद्रिका नगरी' लिखा है। : श्री महावीर चरित्र : 234 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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