SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 5
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २ ) मुताबिक चलने से हरेक तिथि की आराधना आज्ञा मुजब होती है और महत्त्व के पर्व की विराधना से भी अच्छी तरह बच सकती है।" आप महापुरुष मरुधर देश में जहाँ घास भी दुर्लभ हो वहाँ केशर की उत्पत्ति की तरह जन्मे । . आप ही के पट्टधर परम पूज्य कलिकाल-कल्पतरु, अनेकान्ताभासतिमिर-तरणि, व्याख्यान-वाचस्पति आचार्यदेव श्रीविजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा के करकमलों में यह ग्रन्थ समर्पण करके हम क्रतार्थ बन रहे है। ___ इस गुणरत्ना वृत्ति के मार्गदर्शक परमपूज्य वर्धमान-तपोनिधि आचार्यदेव श्रीविजय भुवनभानुसूरीश्वरजी महाराज के विद्वान शिष्यरत्न परमपूज्य पन्न्यासप्रवर श्रीजितेन्द्रविजयजी गणिवर्य के शिष्य रत्न व्याकरण-विशारद परमपूज्य गणिवर्य श्री गुणरत्नविजयजी गणिवर्य हैं। ... इस गुणरत्ना वृत्ति के जन्मदाता परम पूज्य महातपस्वी मुनिराज श्री कमलरत्नविजयजी महाराज के शिष्य रत्न परमपूज्य मुनिराज श्री दर्शनरत्नविजयजी म० एवं परम पूज्य मुनिराज श्रीविमल रत्न विजयजी महाराज हैं। (१) इस पुस्तक के दो भागों का प्रकाशन श्री पिन्डवाडा संघ ने ज्ञान खाते से लाभ लिया है। अतः साधु-पाध्वी एवं ज्ञानभण्डारों को भेंट दी जायगी । दूसरे कीमत से खरीद कर पढ़ेगे तो ही ज्ञान खाने के भक्षण के दोष से बच सकेंगे। (२) इस पुस्तक के एक भाग का प्रकाशन का लाभ पिन्डवाडा जैन संघ की बहिनों ने ज्ञान खाते की आय में से लिया है। . (३) इस पुस्तक का एक भाग का शा पुखराजजी, अशोक, तरुण, भरत, पारस किस्तुरचंदजी हंसाजी पिन्डवाडा वालों ने लाभ लिया है। जो परमपूज्य मुनिराज श्री कमलरत्नविजयजी महाराज के सांसारिक भाई हैं। अतः शा पुखराजजी किस्तुरचन्दजी हंसाजी परिवार, का एवं जैन श्राविका संघ का भी हम का हार्दिक अभिनन्दन करते हैं। इस ग्रन्थ के प्रकाशन में माणकलालजी कटारिया रतलाम वालों ने हरेक भाग की सो-सो पुस्तकों का कागज व बाइडिंग का लाभ लिया
SR No.002228
Book TitleSiddh Hemchandra Vyakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanratnavijay, Vimalratnavijay
PublisherJain Shravika Sangh
Publication Year
Total Pages476
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy