SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 64
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५७ चिन्तन हैम संस्कृत धातु रूप कोश . कर्तरि कर्मणि विहरे विहरावहे विहरामहे विहिये विहियावहे विह्रियामहे विहरसे विहरेथे विहरध्वे |विहियसे विहियेथे विहियध्वे विहरते विहरेते विहरन्ते । |विहियते विहियेते विह्रियन्ते व्यहरे व्यहरावहि व्यहरामहि व्यहिये व्यहियावहि व्यहियामहि व्यहरथाः व्यहरेथाम् व्यहरध्वम् |व्यहियथाः व्यहियेथाम् व्यहियध्वम् व्यहरत व्यहरेताम् व्यहरन्त व्यहियत व्यहियेताम् व्यहियन्त विहरेय विहरेवहि विहरेमहि विहियेय विहियेवहि विहियेमहि विहरेथाः विहरेयाथाम् विहरेध्वम् |विहियेथाः विहियेयाथाम् विहियेध्वम् विहरेत विहरेयाताम् विहरेरन् विह्रियेत विहियेयाताम् विहियेरन् विहरै विहरावहै विहरामहै विहियै विहियावहै विहियामहै विहरस्व विहरेथाम् विहरध्वम् विहियस्व विहियेथाम् विह्रियध्वम् विहरताम् विहरेताम्. • विहरन्ताम् विहियताम् विहियेताम् विह्रियन्ताम् परिहरे परिहरावहे परिहरामहे परिहिये परिहियावहे परिहियामहे परिहरसे परिहरेथे परिहरध्ये परिहियसे परिहियेथे परिहियध्वे परिहरते परिहरेते. परिहरन्ते |परिहियते परिहियेते परिहियन्ते पर्यहरे . पर्यहरावहि पर्यहरामहि |पर्यहिये पर्यहियावहि पर्यहियामहि) पर्यहरथाः पर्यहरेथाम् पर्यहरध्वम् || पर्यहियथाः पर्यहियेथाम् पर्यहियध्वम् पर्यहरत पर्यहरेताम् पर्यहरन्त । ||पर्यहियत पर्यहियेताम् पर्यहियन्त परिहरेय परिहरेवहि परिहरेमहि परिहियेय परिहियेवहि परिहियेमहि परिहरेथाः परिहरेयाथाम् परिहरेध्वम् परिहियेथाः परिहियेयाथाम् परिहियेध्वम् परिहरेत परिहरेयाताम् परिहरेरन् परिहियेत परिहियेयाताम्परिहियेरन् । परिहरै परिहरावहै परिहरामहै परिहियै परिहियावहै परिहियामहै परिहरस्व परिहरेथाम् परिहरध्वम् ॥परिहियस्व परिहियेथाम् परिहियध्वम् परिहरताम् परिहरेताम् परिहरन्ताम् परिहियताम् परिहियेताम् परिहियन्ताम्
SR No.002222
Book TitleChintan Haim Sanskrit Dhatu Rupkosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaresh L Kubadiya
PublisherHaresh L Kubadiya
Publication Year2004
Total Pages150
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy