SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुलभधातुरूपकोशः | Pres. Part. Pot. Pass. वर्त० धातु विशे० Part. jAct. Pass. विध्यर्थ धातु० कतरि कर्मणि विशे० Past Pass. Infin. ot | Gerund or I Part. Parpcse: Absolutive भूतकाल०धातु हेत्वर्थक धातु पूर्वकाल. धात. विशे० अव्यय अव्यय छेनुम् छित्त्वा .ज्ञात तत छिन्दत्, छिद्य- छत्तव्य, छेदनीय, | छिन्न छिन्दान मान छेद्य जक्षत् जक्ष्यमाण जक्षितव्य, जक्षणीय, जक्षित जक्षितुम् ! जक्षित्वा जक्ष्य जाग्रत् जागर्य- जागरितव्य, जाग | जागरित जागरितुम् जागरित्वा, माण, रणीय, जागर्य | (प्रजागर्य) जानत् , ज्ञायमान ज्ञातव्य, ज्ञानीय, ज्ञेय ज्ञातुम् __ ज्ञात्वा, जानान (विज्ञाय) तन्वत् , तन्यमान, तनितव्य, तननीय, तनितुम् तनित्वा, तला तन्वान तायमान तान्य ( वितत्य) हत् तृह्यमाण, तर्हितव्य, तहणीय, तृहित तर्हितुम् तर्हित्वा । तह दरिद्रत् दरिद्रय-दरिदितव्य,दरिद्रणीय, दरिद्रित दरिद्रितुम् दरिदित्वा 1 माण दरिद्रेय . दात् दायमान दातव्य, दानीय, देय दात दातुम् दात्वा . ददत् , दीयमान , दत्वा, (प्रदाय) दिहत्, दिलमान देग्यव्य, देहनीय, देग्धुम् दिग्ध्वा, (संदिह्य) दुन्वत् . दूयमान दोतव्य, दवनीय, दुत्वा दव्य, दाव्य दुहत, दुहमान दोग्धव्य, दोहनीय, दुग्ध्वा दोह्य ( संदुह्य ) णत् दीर्यमाण दरितव्य, दरीतव्य; दरितुम्, "दीवा, दारणीय, दार्य दरीतुम् (विदार्य) द्विषत्, द्विध्यमाण द्वेष्व्य, द्वेषणीय, द्विष्ट द्विष्ट्वा, द्विषाण द्वष्य (विद्विष्य) * नि+दा-नीत, निदत्त ; आ+दा-आत्ता उपा+दा-उपात्त; अप+दा-अवत्त, अवदत्त. दत्त* दोतुम् दोग्धुम्
SR No.002219
Book TitleSulabh Dhatu Rup Kosh Part 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnaji B Virkar, Kulchandravijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy