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________________ अब इनकी भव-स्थिति का वर्णन करते हैं. एगूणपण्णहोरत्ता, उक्कोसेण वियाहिया । तेइंदियआउठिई, अंतोमुहुत्तं जहन्निया ॥ १४१ ॥ एकोनपञ्चाशदहोरात्राणाम्, उत्कर्षेण व्याख्याता । त्रीन्द्रियायुःस्थितिः, अन्तर्मुहूर्त जघन्यका ॥ १४१ ॥ पदार्थान्वयः-तेइंदियआउठिई-त्रीन्द्रिय जीवों की आयुस्थिति, जहन्निया-जघन्य, अंतोमुहुत्तं-अन्तर्मुहूर्त की, और, उक्कोसेण-उत्कृष्टता से, एगूणपण्णहोरत्ता-४९ अहोरात्र की, वियाहिया-कथन की गई है। ____ मूलार्थ-त्रीन्द्रिय जीवों की आयु-स्थिति, जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट ४९ दिन की होती है। तात्पर्य यह है कि तीन इन्द्रियों वाले जीवों की अधिक से अधिक ४९ दिन की आयु होती है, इसी को उनकी भव-स्थिति कहते हैं। अब इनकी कायस्थिति का वर्णन करते हैं... संखिज्जकालमुक्कोसा, अंतोमुहुत्तं जहन्निया । तेइंदियकायठिई, तं कायं तु अमुंचओ ॥ १४२ ॥ सङ्ख्येयकालमुत्कृष्टा, अन्तर्मुहूर्त जघन्यका । त्रीन्द्रियंकायस्थितिः, तं कायन्त्वमुञ्चताम् ॥ १४२ ॥ पदार्थान्वयः-तु-फिर, तं कायं अमुचओ-उस काया को न छोड़ते हुए, तेइंदिय-त्रीन्द्रिय, जीवों की, कायठिई-कायस्थिति, जहन्निया-जघन्य, अंतोमुहुत्तं-अन्तर्मुहूर्त की, और, उक्कोसा-उत्कृष्ट, संखिज्जकालं-संख्येयकाल तक होती है। मूलार्थ-त्रीन्द्रिय अर्थात् तीन इन्द्रियों वाले जीवों की यदि वे अपनी उसी काया को न छोड़ें जिसमें वे रह रहे हैं, तब तक की जघन्य काय-स्थिति कम से कम अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अर्थात् अधिक से अधिक संख्यातकाल की होती है। टीका-इसकी अन्य सब व्याख्या पूर्व की भांति जान लेना चाहिए। .अब इनका अन्तर-काल बताते हैं, यथा अणंतकालमक्कोसं, अंतोमहत्तं जहन्नयं । तेइंदियजीवाणं, अंतरं तु वियाहियं ॥ १४३ ॥ __ अनन्तकालमुत्कृष्टम्, अन्तर्मुहूर्तं जघन्यकम् । त्रीन्द्रियजीवानाम्, अन्तरं तु व्याख्यातम् ॥ १४३ ॥ ' पदार्थान्वयः-तेइंदियजीवाणं-तीन इन्द्रिय वाले जीवों का, अंतरं-अन्तराल, जहन्नयं-जघन्य, अंतोमुहुत्तं-अन्तर्मुहूर्त का, और, उक्कोसं-उत्कृष्ट, अणंतकालं-अनन्तकाल तक का, वियाहियं-कथन किया गया है। उत्तराध्ययन सूत्रम् - तृतीय भाग [४२७] जीवाजीवविभत्ती णाम छत्तीसइमं अज्झयणं
SR No.002204
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year2003
Total Pages506
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size11 MB
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