SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 496
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ त्रयोविंशाध्ययनम् ] हिन्दी भाषाटीकासहितम् । [ १०६३ रहित और शिव-सर्व प्रकार के उपद्रवों से रहित कौन-सा स्थान है ? तात्पर्य यह है कि जिस स्थान में जाकर ये प्राणी सर्व प्रकार के दुःखों से रहित होकर शाश्वत सुख को प्राप्त कर सकें, ऐसा कौन-सा स्थान है ? कारण कि लोक में त्यागवृत्ति का अनुसरण करते हुए तपश्चर्या आदि के अनुष्ठान में जितने भी कष्ट जीव सहते हैं, उन सब का एकमात्र प्रयोजन सर्व प्रकार के दुःखों की आत्यन्तिक निवृत्ति और शाश्वत सुख की प्राप्ति है । सो इस प्रकार के शाश्वत सुख का अगर कोई स्थान नहीं तो यह सब व्यर्थ हो जाता है। अतः कोई ऐसा स्थान अवश्य होना चाहिए कि जहाँ । पर पहुँचने से इन संसारी प्राणियों को परम शांति की प्राप्ति हो सके । इसलिए आप कृपा करकें ऐसे स्थान का निर्देश करें । बृहद्वृत्तिकार ने – ' वज्झमाणाण' के स्थान पर 'पञ्चमाणाण' पाठ दिया है। उसका अर्थ है ' पच्यमानानामिव' अर्थात् दुःखों से आकुलीभूत । यदि संक्षेप से कहें तो जन्म, मरण आदि का दुःख जहाँ पर नहीं, वह कौन-सा स्थान है। इतना ही भाव उक्त गाथा में आये हुए प्रश्न का है, जो कि केशी मुनि ने गौतम स्वामी से किया है । इस प्रश्न के उत्तर में गौतम मुनि ने जो कुछ कहा, अब उसका वर्णन करते हैं— अत्थि एगं धुवं ठाणं, लोगग्मम्मि दुरारुहं । जत्थ नत्थि जरामच्चू, वाहिणो वेयणा तहा ॥८१॥ अस्त्येकं ध्रुवं स्थानं, लोकाग्रे दुरारोहम् | वेदनास्तथा ॥८१॥ यत्र नास्ति जरामृत्यू, व्याधयो पदार्थान्वयः – एगं - एक धुवं ध्रुव ठाणं-स्थान अस्थि - है लोगग्गम्मिलोक के अग्रभाग में दुरारुहं - दुरारोह - दुःख से आरोहण करने योग्य जत्थ - जहाँ पर नत्थि - नहीं है जरा - बुढ़ापा मच्चू - मृत्यु तहा - तथा वाहिणो - व्याधियाँ और वेयणा-वेदनाएँ । मूलार्थ — लोक के अग्रभाग में एक ध्रुव — निश्चल स्थान है, जहाँ पर जरा, मृत्यु, व्याधि और वेदनाएँ नहीं हैं परन्तु उस पर आरोहण करना नितान्त कठिन है ।
SR No.002203
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages644
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy