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________________ आध्यात्मिक-वैज्ञानिक व्यक्तित्व ] [311 कोरा विज्ञान भी खतरनाक हो सकता है। अध्यात्म और विज्ञान - दोनों का विकास जिस व्यक्ति में होता है, वह दुनिया के लिए कल्याणकारी बनता है। सुकरात ने कहा था - शासक को दार्शनिक होना चाहिए। मैं कहना चाहता हूं - शासक को वैज्ञानिक होना चाहिए। वैज्ञानिक समस्या पर विचार ही नहीं करेगा, उसका समाधान भी खोजेगा। आज अध्यात्म और विज्ञान का संगम हो रहा है। दोनों सत्य की खोज करने वाले हैं। हमने राष्ट्रपतिजी से अनेक विषयों पर चर्चा की है। यह विचार-विमर्श आगे भी चलता रहेगा, ऐसा निश्चय किया है। हम मिलकर देश की समस्याओं के समाधान में योग दे सकें, यह आज की अपेक्षा है।' 15 अक्टूबर, 2003 को सूरत आध्यात्मिक घोषणा पत्र के अवसर पर दिए गए वक्तव्य .. 15 अक्टूबर, 2003 को आचार्य महाप्रज्ञ के सान्निध्य में राष्ट्रपति श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने विभिन्न धर्मों के आचार्य, मौलवी, फादर, संत और दार्शनिकों के साथ देश की समस्याओं पर संवाद किया। 'यूनिटी ऑफ माइंड्स (Unity of minds) विषयक इस संवाद की - परिणति सूरत आध्यात्मिक घोषणा पत्र के लोकार्पण के रूप में प्रकट : हुई। इस अवसर पर आचार्य महाप्रज्ञ और डॉ. कलाम द्वारा दिए गए वक्तव्य पाठकों के लिए प्रेषित हैं। . आचार्य महाप्रज्ञ का संबोधन . आचार्य महाप्रज्ञ ने सम्मेलन के लिए प्रदत्त अपने संदेश में कहा - 'आध्यात्मिक चेतना का जागरण और नैतिक मूल्यों का विकास - यह सार्वभौम धर्म का मंच है। इस मंच पर सभी धर्म एकता का संदेश दे सकते हैं।' साम्प्रदायिक सौहार्द ___ उपासना और भक्ति का मंच अपना-अपना हो सकता है और इसमें किसी को कोई आपत्ति भी नहीं हो सकती। धार्मिक अवधारणा में जो दूरी है, वह उपासना पद्धति के आधार पर है। हम वैचारिक स्वतंत्रता और श्रद्धा की निष्ठा को मूल्य दें तो दूरी के रहते हुए भी हम निकट आ सकते हैं, अध्यात्म और नैतिकता के मंच पर . एक साथ बैठ सकते हैं और एक समान कार्य कर सकते हैं। चिन्तन की
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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