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________________ लघुदेवसमासप्रकरण. २६३ बाहेरनी उंचाश्ना बे कोश नेलीएं तेवारे साडीहासी योजन उपर पंचाणुया चालीश जाग, एटला जंबृहीप तथा धातकी खंमनी दिशिथी जोतां पाणी उपर छीप जे. पुण के वली मने के मांदेनी लवण शिखानी दिशिथकी जोतां कोस उगमेव के बन्ने बाजुए वे कोश पाणी थकी सर्व डीप उंचा ठे. हवे छीपनो परिधि कहे जे. उक्तंचसगतीससहस्सनवसया, डयालपरिहिंजलाउकोसबहिं ॥ उच्चा अंतोजोयण, अडसी पणनउपचत्तंसा ॥१॥२३॥ ॥ हवे ते चंऽसूर्यछीपमांहे प्रासादनां प्रमाण कहे . ॥ कुलगिरिपासायसमा ॥ पासाया एसु नियनिय पदणं ॥ तद खवणे जोसिया ॥ दगफालिद जलेसागा॥२४॥ इति श्रीलवणसमुजाधिकारो द्वितीयः समाप्तः॥ अर्थ- एसु के ए चंडसूर्यछीपने विषे कुल गिरिपासायसमा के कुलगिरिना प्रासाद सरखा सामीबासठ योजन उंचा, अने तेनुं थर्ड सवाएकत्रीश योजन पहोला, एवा रमवा योग्य नियनियपहणं के पोतपोताना प्रनु एटले स्वामी जे सुस्थितदेव तथा चंड सूर्य तेमना एवा पासाया के० प्रासाद , तथा ए सर्व चं सूर्य प्रमुख जे ज्योतषीनां विमान ते स्फाटिक रत्ननां डे. तह के० तथा लवणे के लवण समुपने विषे जे जोसिया के ज्योतषी ने तेनां विमान दगफालिद केन्दगपाटन जे स्फाटिकरत्न तेनां बे, ते विमानने संयोगे लवण समुज्नां पाणी फाटे डे, ए रत्ननो जातिगुण जे. वली ते रत्ननी कान्ति उद्बुलेसागा के उंची लवण शिखानेविषे पण प्रकाश करे . लवण समुज्ने विषे चार चंजमा, चार सूर्य, त्रणसें ने बावन ग्रह, एकसोने बार नक्षत्र, अने बे लाख सडसह हजार ने नवसें एटली तारानी कोमाकोडी जाणवी. लवणसमुनो परिधि पन्नर लाख एक्यासी हजार एकसो ने उंगणचालीश योजन जाणवो. समुज्नी जगतिना चार हारनुं अंतर, त्रण लाख पंचाणु हजार बसें ने सवाएंसी योजन . हवे लवण समुज्नुं प्रतर घन करवानी गाथा लखे दे ॥ दससहसरहियमिबर ॥ अछंदससहससंजुअंतेण ॥ गणियायमऊपरिही ॥ पयरोलवणस्सिमोहोई ॥ १॥ नवनवको डिसया ॥ एकसहीकोडीसत्तरसलका ॥ पन्नरससहसायश्मो ॥ घणोसवेसत्तरसहस्सगुणो ॥२॥ सोसोलको डिकोडी ॥ तिणवश्लकीगुणचत्तसहसाया ॥ नवसयकोडीपन्नर ॥ कोडीपन्नासलकाय ॥३॥ ॥ २४ ॥ ॥ इतिवाचनाचार्यश्रीसहजरत्नविरचिते क्षेत्रसमासवार्त्तिके लवणोदाधिकारः समाप्तः ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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