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________________ अनुक्रमणिका. ५ एकशो बेंतालीशमी गाथाथी देवोने उत्पात विरहकालनु चोधुं धार अने चवन विरहकालनुं पांचमुं हार तथा एक समये उत्पातनी संख्या अने चवननी संख्यानां बेझार एम चार बार कह्यां डे. . .... ए३ ६ एकशो सुमतालीशमी गाथाथी देवोनुं श्रापमुं गतिहार कडं बे. त्या प्रसंगे. एकशो सत्तावनमी गाथाथी संघयण तथा व संस्थाननुं स्वरूप पण कडं बे. एए ७ एकशो चोसम्मी गाथाथी देवोनुं नवमुं श्रागतिहार कह्यु बे..... जे देवताने देवांगना साथे संजोग डे तथा जेने संजोग नथी तेनो प्रकार. १०३ ए देवीन उत्पत्तिस्थान कह्यु . .... .... .... .... .... १०४ १० किदिबषिया देवतानां स्थानक कह्यां बे. .... ११ देवताने जे लेश्या होय ते दोढ गाथाए करी कही बे. .... .... १५ वैमानिक देवोनां शरीरना वर्ण कह्या ..... १३ देवताने थाहार तथा श्वासोश्वासना कालनुं मान कह्यु बे. १४ देवताने नवप्रत्ययिक अवधिज्ञानन विषयक्षेत्र कहीने (१ए७) मी गाथा - सुधी देवोनां नवे छारनो अधिकार संपूर्ण कस्यो ..... .... .... ११४ १५ नारकीनां आयुष्यनी जघन्योत्कृष्ट स्थितिनुं प्रथम बार कह्यु ते मध्ये नारकीने विषे विविध प्रकारनी वेदनानुं स्वरूप पण कह्यु बे. .... .... ११६ १६ नारकीनुं बीजुं नवनहार वखाएयुं बे. .... .... .... १२३ १७ नारकीनां शरीरना मानतुं त्रीजुं हार वर्णव्युं बे. .... .... १३१ १७ नारकीना उत्पात विरहनुं हार तथा चवन विरहनुं हार तथा एक समय उपज़वानी संख्यानुं छार थने एक समये चववानी संख्या- छार ए रीते चार छार कह्यांबे. .... .... .... १ए नारकीना आठमा गतिहार मध्ये एने संघयण अने लेश्या कही बे. .... १३६ २० नारकी नरक थकी निकली क्यां श्रावे? तेनुं नवमुं गतिहार कह्यु बे. .... १३ए २१ नारकीने अवधिज्ञाननुं देत्र कहीने नवे धारनो अधिकार संपूर्ण कस्यो . १४० २२ मनुष्यनुं जघन्योत्कृष्टायुनुं धार तथा अवगाहनानुं धार तथा उपपात उछ तनाना विरहकालनां बे हार तथा एक समये केटला उपजे अने केटला चवे, तेनी संख्यानां बे घार, सर्व मली हार कह्यां बे. .... .... .... १४१ २३ कयो जीव मरीने मनुष्यगतिमा उपजे, तेनुं सातमुं गतिहार तथा तदंतर्गत चक्रवर्तिनां चौद रत्न तथा वासुदेवनां सात रत्ननां नाम कह्यां बे. .... १४५ .... १३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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