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________________ (१९) आर्या--आर्या छन्द के विविध रूपों की जानकारी । (२०) प्रहेलिका--पहेली बूझने की योग्यता प्राप्त करना। (२१) मागहिया--मागधिका--मागधी भाषा और साहित्य की जानकारी। (२२) गाथा---गाथा लिखना और समझना। (२३) गीति--गीति काव्यों की रचना करना और उनका अध्ययन करना। (२४) श्लोक--श्लोक रचना की जानकारी। (२५) महुसित्थ--मधुसिक्थ--मोम या आलता बनाने की कला। (२६) गन्धजुत्ति--गन्धयुक्ति--इत्र, केशर, कस्तूरी आदि सुगन्धित पदार्थों की पहचान और उनके गुण-दोषों का परिज्ञान । (२७) आभरणविधि--आभरण--आभूषण निर्माण और धारण करने की कला। (२८) तरुणप्रीतिकर्म--अन्य व्यक्तियों को प्रसन्न करने की कला। (२९) स्त्रीलक्षण--नारियों की जाति और उनके गुण-अवगुणों को पहचान । (३०) पुरुषलक्षण--पुरुषों की जाति और उनके गुण-अवगुणों की पहचान । (३१) हयलक्षण--घोड़ों की परीक्षा तथा उनके शुभाशुभ का परिज्ञान । (३२) गजलक्षण--हाथियों की जातियां और उनके शुभाशुभ की जानकारी। (३३) गोलक्षण--गायों की जानकारी। (३४) कुक्कुटलक्षण-कुक्कुट-मुर्गा की पहचान एवं उसके शुभाशुभ लक्षणों को जानकारी। (३५) मेषलक्षण--मेष परीक्षा। (३६) चक्रलक्षण--चक्र परीक्षा और चक्र संबंधी शुभाशुभ परिज्ञान । (३७) छत्रलक्षग--छत्र सबंधी शुभाशुभ जानकारी। (३८) दण्डलक्षण--किन-किन व्यक्तियों को किस-किस परिमाण का कैसा मोटा दंड रखना चाहिए, इसकी कलात्मक जानकारी। (३९) असिलक्षण---तलवार की परीक्षा करने की जानकारी। (४०) मणिलक्षण--मणि, रत्न, मुक्ता, आदि की समीचीन जानकारी। (४१) काकिनी--सिक्कों को जानकारी। (४२) चर्मलक्षण--चर्म की परीक्षा करने की जानकारी। (४३) चन्द्रचरित--चन्द्रमा की गति, विमान एवं अन्य तद्विषयक बातों की जानकारी। (४४) सूर्यचरित--सूर्य को गति, गमन वीथिका, विमान एवं अन्य तद्विषयक बातों की जानकारी (४५) राहुचरित--राहु ग्रह संबंधी सांगोपांग परिज्ञान । (४६) ग्रहत्त्वरित--अन्य समस्त ग्रहों की गति आदि का ज्ञान । (४७) सूयाकार--सूचाकार --आकार से ही रहस्य को जान लेने की कला। (४८) दूयाकार--दूताकार--दूत की आकृति से ही सब कुछ जान लेने की कला तथा दूत नियुक्ति के समय उसके गुण-दोषों की जानकारी भी इस कला के अन्तर्गत आती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002143
Book TitleHaribhadra ke Prakrit Katha Sahitya ka Aalochanatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1965
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size22 MB
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