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________________ [ ३२ ] भास्कराचार्य स्वामी शंकराचार्य के बाद उनके सिद्धान्त का सत्र से पहिले प्रतिवाद भास्कराचार्य ही ने किया । ये अच्छे समर्थ विद्वान् हुए हैं । वादरायण प्रणीत ब्रह्मसूत्र पर इनका लिखा हुआ भाग्य दर्शनीय है । ऐतिहासिक विद्वानों ने इनका समय विक्रम की दसवीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध स्थिर किया है रामानुज स्वामी रामानुजाचार्य विशिष्टाद्वैत के प्रधान आचार्य होगये हैं । शंकराचार्य की भांति इन्होंने भी प्रस्थानत्रयी पर प्रासादमयी संस्कृत भाषा में विशालकाय भाष्यों की रचना की है। जोकि श्री भाष्य (ब्रह्मसूत्र पर ) वेदान्तदीप, वेदान्त सार, वेदान्तार्थ संग्रह और श्री मद्भगवद्गीता भाष्य के नाम से प्रसिद्ध हैं । इनके जीवन का इतिहास 'बड़ा विलक्षण है परन्तु स्थान के संकोच से हम उसे यहां पर देने में असमर्थ हैं । इनका समय ईस्वी सन् २०१७ से ११३७ तक का माना गया है । इनके विशिष्टाद्वैत का दक्षिण देश-विष्णु कांची आदि में अधिक साम्राज्य है । निम्बार्काचार्य ये आचार्य स्वाभाविक भेदाभेद के संस्थापक हैं। इनका समय भास्कराचार्य के निकटवर्ती है । इन्होंने ब्रह्म सूत्रों पर वेदान्त पारिजातसौरभ नाम का एक छोटा भाष्य लिखा है । * देखो - भास्करीय भाष्य की संस्कृत प्रस्तावना ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002141
Book TitleDarshan aur Anekantavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Sharma
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size8 MB
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