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________________ मल्लराष्ट्र : ४५ 'लिच्छवियों की भाँति मल्ल भी गणतंत्रीय शासन प्रणाली में ही नहीं रहन-सहन में भी समानता रखते थे । 'अष्टकूलिक' की रंग-विरंगी वेश-भूषा, साज-शृंगार इत्यादि से सहज ही कल्पना की जा सकती है कि मल्ल राष्ट्र के नव मल्ल राज्यों के नायक भी उसी प्रकार के विभिन्न रंगों से सुसज्जित एवं अलंकृत रहे होंगे। गांगली' का कथन है कि प्राचीन बौद्ध ग्रन्थ 'महावस्तू' से लिच्छवि. अष्टकुलिक की रुचि, कला-प्रदर्शन का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है, इसमें तथागत सम्बोधि लाभ के ३ वर्ष पश्चात् जब वैशाली जा रहे थे. तो लिच्छवि गणतन्त्र के 'अष्टकुलिक' राज-वंश अपने-अपने राज्य के प्रतीक स्वरूप विभिन्न रंगों के साज-शृंगार से युक्त, उनके स्वागत हेत गंगा तट पर उपस्थित हुए । अलग-अलग दलों की, अलग-अलग रंगों को साज-सज्जा दर्शनीय थी। कोई नीले रंग का प्रतीक बना हुआ था, तो कोई लाल । एक समूह पीले रंग के रथ पर आरूढ़ सुशोभित होकर प्रसन्न मुद्रा में उपस्थित हुआ। __ डा० मुकर्जी ने लिच्छवियों की रुचियों का गहन अध्ययन कर विशद् व्याख्या प्रस्तुत की है। उनके अनुसार प्रत्येक की विभिन्न रंगों की नोली, पीलो, हरित, भजिष्ठा (लाल लोहित) श्वेत (ओदात) एवं मिश्रित (व्यायुक्ता) वेशभूषा रहती थी। उनकी वेष-भूषा, रथ, पगड़ी छाते, जूते, चाबुक, दण्ड आदि के विभिन्न रंग उनके प्रतोक के रूप में . दृष्टिगोचर होते थे। कुशीनगर के मल्लों की सम्पन्नता एवं कला-प्रियता तथा कार्य प्रणाली की निपुणता का विवरण महापरिनिब्बान सुत्त से ज्ञात होता . १. वैशाली की महत्ता, वै० अ० ग्रं०, १० २०-२१ । सत्यत्र लिच्छवयः पीतास्या पीतरथा, पीतरश्मि प्रत्योद-यष्ठि । पीतवस्त्रा, पीतालंकारा, पीतोष्णीशा, पतिछत्राः पीतखड्ग मुनि पादुका।" तदुच्यते:- . पोतास्या, पीतरथा, पीतरश्मि-प्रत्योदमुष्णीशा। पीता च पंचककुदा पीतवस्त्रा अलंकारा ।। और एक दल आया पूर्णतः नीली चीजों से सजधज कर :__नीलास्या, नीलरथा, नीलरश्मि-प्रत्योदमुष्णीशा । नीलाच पंचककूदा नीलावम्ला अलंकारा॥ २. वैशाली इन इण्डियन हिस्ट्री एण्ड कल्चर, वै० अ० प्र०, पृ० १० । ३. दी०नि०-महापरिनिब्बान सुत्त (हिन्दी अनुवाद), पृ० १४८-४१९ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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