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________________ पावा मार्ग अनुसंधान : १८९. मुख्य स्तूप एवं बुद्ध परिनिर्वाण मूर्ति प्रकाश में आयी और कुशीनगर बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली प्रमाणित हो गयी। तत्पश्चात् भारत सरकार के पुरातत्त्व विभाग ने योजनाबद्ध ढंग से उत्खनन करवाने का विचार किया जिसके परिणामस्वरूप १९०४-१९०७ में जे० पी० एच० वोगल' तथा १९१०-१९१२ में हीरानन्द शास्त्री के निर्देशन में इस स्थली का उत्खनन हुआ जिसमें अनेक बौद्ध विहार, स्तूप एवं भग्नावशेष, मण-मुद्रा, ताम्र-पत्र आदि प्राप्त हुए थे। यहाँ प्राप्त अनेक मुद्राओं पर श्री महापरिनिर्वाण विहारे भिक्षुसंघस्य "कुसनगर' तथा ताम्र-पत्र पर "परिनिर्वाण चैत्य ताम्रपट' अंकित था। उपर्युक्त विवेचन से पूर्णतः स्पष्ट एवं निश्चित हो गया कि यही बुद्ध की महापरिनिर्वाणस्थली कुशीनगर है। ह्वेनसांग के कुशीनगर सम्बद्ध-विवरण से ज्ञात होता है कि उसने महापरिनिर्वाण मन्दिर, स्तुप व बौद्ध विहार के निकट एक आकर्षक ऊँचा प्रस्तर-स्तम्भ देखा था किन्तु उससे महापरिनिर्वाण तथा स्तम्भ-स्थापनातिथि की सूचना नहीं प्राप्त होती थी। इसीकारण इसका कोई ऐतिहासिक महत्त्व नहीं रह गया। उसके विवरण से कुशीनगर से द्वितीय अशोक स्तम्भ की भी सूचना प्राप्त होती थी जिसे द्वेनसांग ने बुद्ध के धातु-अवशेष के वितरण-स्थल पर देखा था जिस पर इस घटना का विवरण अंकित था। राधाकुमुद मुखर्जी ने इसकी पुष्टि की है। कार्लाइल' ने उत्खनन के समय ह्वेनसांग-विवरण के आधार पर प्रस्तर-- स्तम्भ ढंढ़ने का प्रयास किया परन्तु वे सफल नहीं हो पाये। उनकी धारणा थी कि प्रस्तर-स्तम्भ स्तूप के दक्षिण दिशा में भूमि के अन्दर दबा होना चाहिये। इन अशोक स्तम्भों के विषय में बुकनन, कनिंघम १. वोगल, जे० पी० एच०, नोट आन द ऐक्सवेशन ऐट कसिया-एनुअल रिपोर्ट ___ आ० स० इ० १९०४-५, १९०५-६, १९०६-७, गवर्नमेण्ट प्रिंटिंगप्रस कलकत्ता १९०८, १९०९, पृ० क्रमशः ४३, ६१ व ४३ । २. शास्त्री हीरानन्द, वही १९१०-११, १९११-१२, पृ० क्रमशः ६२ व १३४ ।। ३. बील, सैमुएल, बुद्धिस्ट रिकार्ड आव वेस्टर्न वर्ड, पृ० ३१ । ४. मुखर्जी, राधामुकुद-'अशोक' मोतीलाल बनारसी दास, दिल्ली १९६२, पृ० ८५ ५. कार्लाइल, ए० सी० एल०, आ० स० इं० रि० टूर्स आव गोरखपुर, सारण गाजीपुर, पृ० २८-२९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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