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________________ . पावा-पड़रौना अनुशीलन : ९३ भौगोलिक स्थिति से बैठता है। अतः प्रमाणित होता है कि पड़रौना का निकटवर्ती क्षेत्र ही महाभारत काल का मुख्य मल्ल राज्य रहा है । बौद्ध साहित्य में प्रदत्त बद्ध की महापरिनिव्वाणस्थली कुशीनगर से दिशा व दूरी के आधार पर भी पावा की भौगोलिक स्थिति का अध्ययन करने पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में स्थित पड़रौना ही पावा सिद्ध होता है। बौद्ध साहित्य में वर्णित यह पावा बुद्धकाल के पश्चात् लुप्त हो गयी और परवर्ती साहित्य में कहीं भी कुशीनगर की निकटवर्ती पावा का उल्लेख नहीं है। सम्भवतः इसी कारण विद्वानों ने पावा पड़रौना की स्थिति के अन्वेषण का प्रयास न कर, परम्परा से प्रभावित होकर बिहार प्रदेश के नालन्दा जनपद में बिहार शरीफ के निकट स्थित पावापुरी को वास्तविक पावा के रूप में मान्यता प्रदान कर दी। __ परन्तु यह भी नहीं कहा सकता कि आधुनिक विद्वानों ने बौद्ध साहित्य में उल्लिखित पावा का अन्वेषण करने का प्रयास ही नहीं किया। समयसमय पर विद्वानों द्वारा प्रयास हुए हैं। इस क्रम में बुकनन सर्वप्रथम हैं। इन्होंने बौद्ध साहित्य में वर्णित, दिशा एवं दूरी के आधार पर सन् १८१४ में पड़रौना के उपनगर छावनी से कुबेर स्थान तक जाने वाले मार्ग के दाहिनी ओर छावनी के निकट स्थित प्राचीन टीले का उत्खनन करवाया। यहाँ प्राप्त तीन मूर्तियाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। बुकनन की पावापड़रौना सम्बन्धी पुरातात्त्विक उपलब्धियों का विस्तृत वर्णन आगे 'पावा-पड़रौना पुरातात्त्विक सर्वेक्षण' प्रकरण में करेंगे। बुकनन' की रिपोर्ट से प्रेरित होकर एलेक्जेण्डर कनिंघम' ने सन् १८६१ में इस क्षेत्र का सर्वेक्षण कर पड़रौना के उक्त टीले का उत्खनन करवाया था। उन्हें यहाँ से अनेक मूर्तियाँ प्राप्त हुई थीं। यहाँ उपलब्ध सभी पुरातात्त्विक सामग्री को वे अपने साथ लेते गये। कनिंघम के इस सर्वेक्षण का उपरोक्त प्रकरण में ही विस्तार से विवेचन किया जायगा। १. मार्टिन माण्टगोमरी, दो हिस्ट्री एण्टीक्यूटोज, टोपोग्राफी एण्ड स्टैटिस्टिक्स आफ इण्डिया, जिल्द २ पृ० सं० ३५६ दिल्ली १९७६ [इन मूर्तियों का रेखांकन, जो पड़रौना के प्राचीन मंदिर केलिया में दृष्टिगोचर हुई ३८२ एवं ३८३ के मध्य दिया है। २. कनिंघम, ए०, दो एंश्येण्ट ज्याग्रफी ऑफ इंडिया, पृ० ४७६ वाराणसी १९७५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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