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________________ २९० ३४. हस्तिनापुर यशस्तिलक में हस्तिनापुर का दो बार उल्लेख है । सोमदेव के अनुसार यह नगर कुरुजांगल जिले में था । ४७ कुरुजांगल को एक स्थान पर केवल जांगलदेश भी कहा है । " यशोधर के अन्तःपुर में कुरुजांगल की कामिनियों का उल्लेख है । ५९ यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन ३५. हेमपुर एक कथा के प्रसंग में हेमपुर का उल्लेख है । ३६. स्वस्तिमति सोमदेव ने लिखा है कि स्वस्तिमति डहाल प्रदेश में यो । ६१ डहाल चेदि राजाओं की राजधानी थो । यशस्तिलक के उल्लेखों से ज्ञात होता है कि वहाँ गन्नों की अच्छी खेती होती थी । ६२ वहाँ पर अभिचन्द्र, द्वितीय नाम विश्वावसु, नाम का राजा राज करता था । ६३ उसकी वसुमति नाम की पटरानी थी । ६४ उनके लड़के का नाम वसु तथा पुरोहित का क्षोरकदम्ब था । क्षीरकदम्ब की पत्नी का नाम स्वस्तिमति तथा लड़के का नाम पर्वत था । ३७. सोपारपुर यह मगध प्रान्त का एक नगर था । इसके निकट नाभिगिरि नाम का पर्वत था । ६५ ३८. श्रीसागरम् ( सिरीसागरम् ) यशस्तिलक के अनुसार श्रीसागरम् अवन्ति जनपद में था । ६६ ५७. कुरु जांगलमण्डले हस्तिनागपुरे । - प्रा० ६, क० २० ५८. श्र० ७, क० २८ ५६. कुरुजांगल ललनाकुचतनुत्र - पृ० ६८७ हि० ६०. ० ६, क० १५ ६१. डहालायामस्ति स्वस्तिमती नाम पुरी । पृ० ३५३ उत्त० ६२. कामकोदण्डकारणकान्तारैरिवेक्षुवणावतारैर्विराजितमण्डलायाम् । पृ० ३५३ उत्त० ६३. तस्यामभिचन्द्रापरनामवसुविश्वावसुर्नाम नृपतिः । - Jain Education International पृ० ३५३ उत्त० ६४. वसुमतिनामाग्रमहिषी । - वही ६५. मगधविषये सोपारपुरपर्यन्तधाग्नि नाभिमिरिनाम्नि महीधरे । आ० ६, क० १५ ६६. श्र० ७, क० २६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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