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________________ २१४ यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन टीकाकार ने इसका अर्थ मूसल किया मूसल लकड़ी का बना एक लम्बा तथा पैना उपकरण होता था । यह प्रायः खदिर की लकड़ी का बनाया जाता था । कौटिल्य ने इसकी गणना चल-यन्त्रों में की है । ९६ ९७ मूसल का अंकन शिल्प में संकर्षण बलराम के एक हाथ में किया जाता है । वर्तमान में मूसल एक घरेलू उपकरण बन गया है । धान आदि को ओखली में कूटने के लिए इसका उपयोग किया जाता है | ९५ 1 २२. मुद्गर ९९ मुद्गर का उल्लेख दो बार हुआ है। सम्राट यशोधर के यहाँ मुद्गरधारी सैनिक भी थे । १८ चण्डमारी के मन्दिर में भी कुछ लोग मुद्गर लिये खड़े थे । संस्कृत टीकाकार ने मुद्गर का अर्थ लोहे का घन किया है ।" अमरावती की कला में इसका अंकन मिलता है । 900 701 २३. परिघ परिघ का उल्लेख एक उपमा में हुआ है। घोड़ों को डिगाने में परिघ के समान कहा है । १०२ यह डण्डे - जैसा बार हुआ है । था । महाभारत में इसका उल्लेख कई जाति का हथियार था । सोमदेव ने शत्रु सेना लोहे का बना अस्त्र यह भी गदा की २४. दण्ड १०४ सोमदेव ने दण्डधारी योद्धाओं का उल्लेख किया है । Jain Education International 903 ६५. दु:स्फोटाच मुसलानि । - वही, सं० टी० ६६. मुसलयष्टिः खादिरः शूल: । - अर्थशास्त्र २११८, सं० टी० ६७. बनर्जी - वही, पृ० ३३० ६८. मुद्गर प्रहार:- सपदि मम रणाग्रे मुद्गरस्याग्रतः स्याः । पृ० ५५७ ६६. अपरैश्च यमावासप्रवेश मुद्गर - 1 सं० पृ० १४५ १००. मुद्गरस्य लोहघनस्य । - वही, सं० टी० For Private & Personal Use Only संभवतया दण्ड १०१. शिवराममूर्ति, अमरावती स्कल्पचर्स, फलक १०, चित्र १२ १०२. परवलस्खलने परिधाः हयाः । पृ० ३२५ १०३ . चक्रवर्ती- द आर्ट आफ वार इन ऍशियेएट इण्डिया, फुटनोट, ३ १०४. उदात्तदीर्घदण्डविडम्बितदोर्दण्डमण्डलैः प्रशास्तृभिः । - पृ० ३३१ दण्डपाशिकमटाना दिदेश । - १० ५० www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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