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________________ प्रागैतिहासिक काल की जैन साध्वियाँ एवं विदुषी महिलाएँ : ३१ आयुधशाला के रक्षक से नेमिनाथ के शंख फूंकने पर वे चिन्तामग्न हो गये। कृष्ण की दोनों पटरानियों ने पति को चिन्तातुर देख अपने देवर को विवाह के लिये तैयार करने का कठिन कार्य हाथ में लिया। वसन्तोत्सव पर वसन्त क्रीड़ा के निमित्त रैवताचल पर एक कार्यक्रम आयोजित किया। भाई एवं भाभी के आग्रह पर नेमिकुमार भी इस वसन्तोत्सव पर उनके साथ गये। वहाँ कृष्ण की रानियों ने नेमिकुमार को सांसारिक भोग की ओर उन्मुख करने के बहुविध प्रयास किये । संसार से विरक्त नेमिनाथ मोह ममता को त्याग चुके थे किन्तु कुटुम्बियों के अति आग्रह को देखकर विवाह के लिये सहमत हो गये। ___ इस प्रकार कृष्ण की इन दोनों पटरानियों ने अपनी बुद्धिमत्ता एवं व्यवहार कुशलता से उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी सहयोग दिया। द्रौपदीर : जैन परम्परा में महाभारत की प्रसिद्ध महिला पात्र 'द्रौपदी' का वर्णन कर्मों के आधार पर किया गया है। किसी पर्वभव में द्रौपदी (उसका जीव) चम्पानगर के ब्राह्मण सोम की नगरी नागश्री नाम की पत्नी थी। उसने श्रवण मनि धर्मरुचि को कड़वे तुम्बे के साग का भिक्षाहार दिया था। जिसे खाकर धर्मरुचि ने समाधिपर्वक शान्त भाव से प्राण त्याग दिया। नगर में इसकी चर्चा फैलने से पति सोम ने नागश्री को घर से निकाल दिया। गांव वाले भी धिक्कार व घणा की दृष्टि से देखने लगे । अतः भरण-पोषण भी मिलना मुश्किल हो गया। इस प्रकार कई व्याधियों से ग्रसित होकर दीनहीन अवस्था में नागश्री की मृत्यु हुई। कई भवों में भ्रमण करने के पश्चात् चपानगरी के जिनदत्त सार्थवाह की भार्या भद्रा की कुक्षि से पुत्री रूप में जन्म लिया । अति कोमल शरीर होने के कारण माता-पिता ने उसका नाम सुकुमालिका रखा । यौवन वय प्राप्त होने पर पिता जिनदत्त ने पुत्री का विवाह सागरदत्त सार्थवाह के पुत्र सागर से किया । १. चउपन्नमहापुरिसचरियं-पृ० १९२ २. ज्ञाताधर्मकथा १०९, ११६, १२०, १२३-२४ प्रश्नव्याकरण वृत्ति, पृ० ८७ ३. आ० आनन्द ऋषिजी-ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र-अ० १६, पृ० ४४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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