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________________ निश्चयनय / ३१ करता है तथा संसारी जीव शुभाशुभ कर्म तथा इष्टानिष्ट इन्द्रियविषयों के निमित्त से होनेवाले अपने सुख-दुःखरूप परिणामों का वेदन करता है। इसलिए जीव मौलिक-अभेदावलम्बी निश्चयनयरूप प्रमाणैकदेश से निजस्वभाव का ही भीक्ता है। आचार्य कुन्दकुन्द की निम्नलिखित गाथा इसमें प्रमाण है - णिच्छयणयस्स एवं आदा अप्पाणमेव हि करेदि । वेदयदि पुणो तं चेव जाण अत्ता दु अत्ताणं ।।' आचार्य जयसेन का भी ऐसा ही कथन है - "शुद्धनिश्चयेन शुद्धात्मोत्थवीतरागपरमानन्दरूप-सुखस्य तथैवाशुद्धनिश्चयेनेन्द्रियजनित-सुखदुःखानां भोक्तृत्वाद् भोक्ता भवति।"२ - जीव शुद्धनिश्चयनय से शुद्धात्मा से उत्पन्न वीतराग परमानन्दरूप सुख का तथा अशुद्धनिश्चयनय से इन्द्रियजनित सुख-दुःख का भोग करने से भोक्ता है। यद्यपि परद्रव्य के साथ तादात्म्य स्थापित न होने से आत्मा निश्चयनय से उसका भोक्ता नहीं है, तथापि उसके निमित्त से आत्मा का भोक्तास्वभाव ( सुखदुःखवेदन स्वभाव ) परिणमित होता है तथा आत्मा के भोक्तास्वभाव के निमित्त से परद्रव्य का भोग्यस्वभाव ( सुखदु:खनिमित्तस्वभाव ) परिणमित होता है। अत: इस निमित्तनैमित्तिक सम्बन्ध के कारण उपचारावलम्बी व्यवहारनय से जीव को परद्रव्य का भोक्ता तथा परद्रव्य को जीव का भोग्य कहा जाता है। पर से ग्रहण-त्यागसम्बन्ध का निषेध मौलिकभेदावलम्बिनी निश्चयदृष्टि का आश्रय लेकर जिनेन्द्रदेव ने आत्मा को परद्रव्य के ग्रहण-त्याग में असमर्थ बतलाया है जिसका वर्णन आचार्य कुन्दकुन्द ने इस प्रकार किया है - अत्ता जस्सामुत्तो ण हु सो आहारओ हवइ एवं । आहारो खलु मुत्तो जरा सो पुग्गलमओ उ ।। ण वि सक्कइ घित्तुं जं ण विमोत्तुं जं य जं परदव्वं । सो को वि य तस्स गुणो पाउगिओ विस्ससो वा वि ।। १. समयसार/गाथा, ८३ २. पञ्चास्तिकाय/तात्पर्यवृत्ति/गाथा २७ ३. (क) “कत्ता भोत्ता आदा पोग्गलकम्मस्स होदि ववहारो।” नियमसार/गाथा १८ ____ (ख) “व्यवहारेण शुभाशुभकर्मसम्पादितेष्टानिष्टविषयाणां भोक्तृत्वाद् भोक्ता।" पञ्चास्तिकाय/तत्त्वदीपिका/गाथा, २७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002124
Book TitleJain Darshan me Nischay aur Vyavahar Nay Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, & Religion
File Size12 MB
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