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________________ ३८ : जैनमेघदूतम् काव्य में दूत-सम्प्रेषण का माध्यम एक कोयल (कोकिल) है। कुल १०० श्लोकों में पूरा काव्य रचा गया है । मेघदूत के ही समान मन्दाक्रान्ता छन्द भी प्रयुक्त है। पूरा काव्य इसी छन्द में रचित है। कथावस्तु निम्न प्रकार है-कि श्री राधा के हृदय में विरहव्यथा अति मार्मिकता से समाविष्ट हो चुकी थी, क्योंकि उनके प्रियतम श्रीकृष्ण उन्हें छोड़कर मथुरा को चले गये थे। फलतः मन को शान्त करने के उद्देश्य से राधा, एक कोकिल को ही अपने प्रियतम के पास सन्देश देकर भेजती हैं । इस काव्य में कवि-चातुर्य एवं काव्य-सौन्दर्य पूर्णरूप से प्रतिभासित होता है। काव्य कालिदासीय मेघदूत की पद्धति पर रचा गया है। कला-पक्ष एवं भाव-पक्ष दोनों ही दृष्टियों से काव्य अपने में पूर्ण है। कोकिल सन्देश : इस दतकाव्य के रचनाकार उदण्ड कवि हैं। काव्य का रचनाकाल १५ वीं शताब्दी है । इस काव्य में, एक प्रिया-वियुक्त विरही ने केरल में स्थित अपनी प्रियतमा के पास एक कोकिल अर्थात् कोयल को सन्देश-हारक के रूप में भेजा है। संक्षेपतः काव्य लघु होते हुए भी बहुत प्रभावी है। कोकिलसन्देश : दूतकाव्य परम्परा में अपने नाम का यह दूसरा दूतकाव्य है। इस काव्य की रचना श्री नरसिंह कवि ने की है। इसमें भी कोकिल ही दूत-माध्यम है। कथानक भी एक ही जैसा है कि एक कामपीड़ित नायक अपनी वियक्ता नायिका के पास अपना विरह-सन्देश कोकिल के माध्यम से भेजता है। पर काव्यकार भिन्न होने से दोनों की रचना शैली भी अवश्य भिन्न है । वैसे काव्य पूर्ण रूप से एक शृङ्गारिक काव्य के रूप में आता है। . कोकिलसन्देश : इस दूतकाव्य के पूर्व इसी नाम के दो दूतकाव्य इस काव्य-परम्परा में रचे जा चुके हैं। इस दूतकाव्य के काव्यकार श्री १. श्री पी० एस० अनन्त नारायण शास्त्री की टिप्पणी सहित मंगलोदयम् प्रेस, त्रिचूर से सं० १९३९ में प्रकाशित । २. अद्यार पुस्तकालय के हस्तलिखित सूचीपत्र के द्वितीय भाग में संख्या ५ पर द्रष्टव्य; अप्रकाशित । ३. तंजीर राजमहल पुस्तकालय के हस्तलिखित ग्रंथों के सूची पत्र के भाग ७, संख्या २८६३ पर द्रष्टव्य; अप्रकाशित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002122
Book TitleJain Meghdutam
Original Sutra AuthorMantungsuri
Author
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size15 MB
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