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________________ जैन साहित्य एवं साहित्यकार : ४०९ १२. आनंषन-इनका मूलनाम लाभानंद था। ये बड़े अध्यात्मयोगी पुरुष थे। इनकी 'चौबीसी' और 'पद बहत्तरी' कृतियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं। १३. आनंदवर्द्धन-ये खरतरगच्छोय महिमासागर के शिष्य थे। इनकी १६४५ ई० से १६६९ ई० तक की रचनाएँ प्राप्त है। इन्होंने 'भक्तामर स्तोत्र' व 'कल्याण मन्दिर स्तोत्र' का हिन्दो पद्यानुवाद किया है ।। १४. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि )-ये खरतरगच्छ की बेगड़ शाखा के आचार्य “जिनचन्द्र सूरि के शिष्य थे । हिन्दी में भी इन्होंने कई उल्लेखनीय रचनायें कीं। इन्होंने भर्तृहरि के वैराग्य शतक' पर 'सर्वार्थसिद्धि मणिमाला' नामक विस्तृत टोका की, जो १६८३ ई० में पूर्ण हुई । स्वतंत्र कृतियों में 'तत्वप्रबोध' नाटक १६७३ ई० में 'जैसलमेर में रचा । अन्य रचनाएँ 'नेमिनाथ बारहमासा', 'नारी गजल', 'वैद्य चिंतामणि' आदि स्फुट कृतियाँ हैं । १५. लक्ष्मीवल्लभ-ये खरतरगच्छीय लक्ष्मीकोति के शिष्य थे। संस्कृत, राजस्थानी व हिन्दी तीनों भाषाओं में इन्होंने बहुत-सी रचनायें की। हिन्दी रचनाओं में वैद्यक सम्बन्धी २ रचनाएँ हैं-'मूत्र परीक्षा' और 'काल ज्ञान' १६८४ ई० । इनकी अन्य हिन्दी रचनाएँ 'दहा बावनी', 'दुहा', 'हेमराज बावनी', 'चौबीस स्तवन', "नवतत्व भाषा बंध' १६९० ई०, 'भावना विलास' १६७० ई०, 'नेमि राजुल बारह-मासा' आदि हैं। १६. धर्मसी (धर्मवद्धन)-ये खरतरगच्छीय विजयहर्ष के शिष्य थे। इन्होंने 'हिन्दी में बहुत-सी उत्कृष्ट रचनाएँ कीं। ये बीकानेर के राजमान्य कवि थे। इनकी 'हिन्दी रचनाओं में 'धर्म बावनी' १६६२ ई०, 'बंभक्रिया चौपई' १६७३ ई० के अतिरिक्त 'चौबीस जिन पद', 'चौबीस जिन सवैया', 'नेमि राजुल बारहमासा' एवं कुछ प्रबोधक पद भी हैं। १७. विनयचंद्र-ये खरतरगच्छीय उपाध्याय ज्ञानतिलक के शिष्य थे। इनकी 'प्राप्त रचनाओं का संग्रह 'विनचन्द्र कृति कुसुमांजलि' के नाम से प्रकाशित है। 'नेमि राजमती बारहमासा' और 'नेमि राजुल सज्झाय' ये दोनों सुन्दर हिन्दी रचनायें हैं। १. राजैसा, पृ० २७४ । २. वही । ३. वही, पृ० २७५ । ४. वही। ५. वही, पृ० २७६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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