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________________ ११२ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म काष्ठा संघ के बागड़गच्छ के मध्यकालीन आचार्य' : सूरसेन, यशकीति, ( यह संघ बाद में लाड़बागड़ संघ में मिल गया ) काष्ठा संघ के नंदी तट गच्छ के मध्यकालीन आचार्य : रत्नकोति, लक्ष्मीसेन, भीमसेन व धर्मसेन, सोमकीर्ति (१४६९ ई०-१४८३ ई०) क विमलसेन, विजयसेन व विशालकीति, यशकीर्ति व विश्वसेन (१५३९ ई०), उदयसेन क विजयकीर्ति तथा विद्याभूषण (१५४७ ई०-१५७९ ई०), त्रिभुवन कीर्ति, श्रीभूषण (१५७७ ई०-१६७९ ई०)। काष्ठा संघ के भट्टारक यशकीति ने १५१५ ई० में सभामंडप और नौचौकी की प्रतिष्ठा ऋषभदेव में करवाई। शिलालेखों और प्रशस्तियों से ज्ञात होता है कि वागड़ प्रदेश इस संघ का मुख्य प्रभाव क्षेत्र था। जयपुर के पंचायती मन्दिर के चतुर्विंशति पट्ट के १३३३ ई० के लेख में काष्ठा संघ, लाड़वागड़ गण के आचार्य त्रिभुवनकीर्ति का नामोल्लेख है। इसी मन्दिर में सुमतिनाथ पंचतीर्थी पर १३३८ ई० के लेख में केवल काष्ठा संघ का नाम है। जयपुर के पार्श्वचन्द्र उपाश्रय में स्थित सुमतिनाथ पंचतीर्थी के १४३३ ई० के लेख में काष्ठा संघ, नंदी तट गण का उल्लेख है।५ कर्मदी आदिनाथ मन्दिर की चंद्रप्रभ पंचतीर्थी के १४४७ ई० के लेख में काष्ठा संघ वागड़ गच्छ के हेमकीर्ति का उल्लेख है। ___ हिण्डोन के श्रेयांसनाथ मंदिर में आदिनाथ एकतीर्थी के १४८५ ई० के लेख में काष्ठा संघ माथुर अन्वय के कमलकीर्ति के पट्टधर शुभचन्द्र के पट्टधर हंससेनदेव का वर्णन है । जयपुर पंचायती मंदिर की अनंतनाथ पंचतीर्थी के १४५९ ई० के लेख में काष्ठा संघ बागड़गच्छ नंदीगण के धर्मसेन का वर्णन है। जयपुर पदमप्रभ मंदिर की सुमतिनाथ पंचतीर्थी के १४६५ ई० के लेख में काष्ठा संघ सरस्वती गच्छ के भट्टारक सोमकीर्ति का नाम है। मेड़ता के चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर की आदिनाथ पंचतीर्थी के १५४० ई० के लेख में काष्ठा संघ के सोमकीर्ति का उल्लेख है। १. जैसेस्क, पृ० १२१ । २. भादिजैती, ४, पृ० १११ । ३. प्रलेस, क्र० १३३ । ४. वही, क्र० १४१ । ५. वही, क्र० २७९ । ६. वही, क्र० ३८३ । ७. वही, क्र० ८३३॥ ८. वही, क्र० ५५१ । ९. वही, क्र० ६२५ । १०. वही, क्र० ९९६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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