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________________ समाधिमरण भौतिक संसाधनों के कारण उत्पन्न समस्याओं से बचने के लिए ही आत्महत्या करता है। प्राकृतिक कारण- उस स्थान विशेष या देश विशेष का मौसम, वातावरण (गर्मी, सर्दी, आर्द्रता) आदि। भौतिक संसाधन के कारण हैं- शारीरिक अक्षमता, सामाजिक कारण, राजनीतिक कारण, राष्ट्रीय कारण तथा आर्थिक कारण आदि। इन समस्त कारणों से उत्पन्न समस्याओं की पूर्ति नहीं कर पाने के कारण और उससे बचने के लिए ही व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है । ८२ ८० डॉ॰ उपेन्द्र ठाकुर विभिन्न विद्वानों के चिन्तन के आधार पर आत्महत्या के कारण और अवस्थाओं का चित्रण अपनी पुस्तक "द हिस्ट्री ऑफ स्यूसाईड" में करते हैं। वे लिखते हैं कि व्यक्ति निम्न परिस्थितियों में आत्महत्या के संबंध में विचार करता है अथवा आत्महत्या कर लेता है । उनके अनुसार ये परिस्थितियाँ इस प्रकार की हो सकती हैं-८३ आत्महत्या व्यक्ति मुख्य रूप से मन की भावनाओं के आवेश में आकर करता है। उसके समक्ष कई तरह की समस्याएं आ जाती हैं । इन समस्याओं की पूर्ति के लिए वह शक्ति भर प्रयास करता है। लेकिन समस्याओं की पूर्ति न होने के कारण उसके मन में क्षोभ, ग्लानि, अपमान, पश्चाताप आदि विभिन्न तरह की भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं। इन्हीं समस्त भावनाओं के आवेग के वशीभूत होकर वह अपना प्राणघात कर लेता है अर्थात् आत्महत्या कर लेता है । इन समस्याओं के अतिरिक्त व्यक्ति कभी-कभी धार्मिक भावावेश में भी आत्महत्या कर लेता है । श्री तूकोल के अनुसार ४- व्यक्ति आत्महत्या, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, व्यक्तिगत कष्टों से ग्रस्त होने पर करता है। किसी भी व्यक्ति के समक्ष व्यक्तिगत समस्याओं में परिवार, विवाह, प्रेम, रोजी-रोटी, इष्ट-वियोग, अनिष्ट मिलन, शारीरिक दुर्बलता आदि की समस्याएं होती हैं। एक ओर सामाजिक स्तर पर समाज में अपना उच्च स्थान कायम रखने की, अधिक धन-दौलत कमाने की, यश पाने की कामना रहती है तो दूसरी ओर अपमान, ग्लानि, क्षोभ से बचने की भी लालसा रहती है। कभी-कभी व्यक्ति के समक्ष राजनीतिक समस्या भी मुँह बाये खड़ी रहती है। प्रत्येक व्यक्ति देश का सम्मान, देश के सर्वोच्च पद पाने की लालसा आदि समस्त समस्याओं का निदान करना चाहता है। यदि यह सम्भव होता है तो ठीक है, अन्यथा व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है। वाचार्य महाप्रज्ञ (वर्तमान आचार्य) के अनुसार व्यक्ति आत्महत्या किसी तरह के आवेश, आवेग या उत्तेजना के वशीभूत होकर करता है। इस अवस्था में व्यक्ति पहाड़ से लुढ़ककर, वृक्ष से गिरकर, आत्मदाह, विषपान आदि बाह्य विधियों की सहयाता से आत्मघात करता है । ५ वर्ल्ड हेल्थ आरगेनाइजेशन (World Health Organisation) ने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002112
Book TitleSamadhimaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajjan Kumar
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Epistemology
File Size10 MB
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