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________________ ३३. ३४. ३६. ३७. ३८. ४०. ४१. ४२. ४३. ४४. ४५. ४६. ४७. ४८. ४९. ५१. ५३. ५५. ५७. ५९. ६१. ६३. ६५. ६७. ६८. ६९. ७०. ७१. ७३. ७५. ७७. समाधिमरण सम्बन्धी जैन साहित्य दस अज्झयणा तिण्णिवग्गा.... समवाओ पइण्ण, समवाओ, ९७ अनुत्तरोपपातिकसूत्रम्, पृ०-६. ३५. वही, पृ० - ७. वही, पृ० ८. उत्तराध्ययनसूत्र, सम्पा० - साध्वी चन्दना, अन्तर के बोल, पृ०- २ वही, प्रस्तावना पृ० -५. ३९. वही, प्रथम से छत्तीस अध्ययन । उत्तराध्ययनसूत्र, ५/२, ३, ४/२१, २८/३२. वहीं, ३६ / २५१-२५५. से किं तं उक्कालिअं ? उक्कालिअं अणेगविहं पण्णत्तं तं जहा- दसवे आलियं नन्दीसूत्र, ८०1 दसवे आलियं, वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी, पृ० - २८. जैन आगम साहित्य: मनन और मीमांसा, पृ० - ३११. मूलाचार (पूर्वार्द्ध) - आद्य-उपोद्घात, पृ० १८. वही, पृ- १८, वि० द्र० - जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-४, पृ०-२६९. भारतीय संसकृति में जैन धर्म का योगदान, हीरालाल जैन, पृ० - १०, पृ० - ५९१. जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, मूलाचार (पूर्वार्द्ध), गाथा ९२ -१०७. आउरपच्चक्खाणपइण्णयं, मंगलाचरण से वही, गाथा ११ वहीं, ४८-७१ वही, ६८-७० वही, १३५-१३६ वही, १२१-१२५. वही, ४१-५०. वही, १३ - १६. वही, ९-११. वही, १४-१५. वही, ५१-५२. वही, ६६-६७. वही, ७८-८०. ५०. वही, ३७-४७ ५२. वही, १-९ ५४. वही, ४१-५० ५६. वही, ६८-७६ ५८. ६०. ६२. वही, १६ ६४. वही, ८ ६६. वही, ३५-३६ वही, ३०. वही, ३७ ४०, ५१-६७. एयं पच्चक्खाणं अणुपालेऊण सुविहिओ सम्मं । माणिओ व देवो हविज्ज अहवावि सिज्झिज्जा | जैन आगम साहित्य: मनन और मीमांसा, पृ० - ३९५. मरणविभत्तिपइण्णयं गाथा १० - १३. Jain Education International वही, १११-११२ वही, ९० ९२ ५९ ७२. वही, २२-४४. ७४. वही, ५९-६५. ७६. वही, ७०-७७. वही, ८४-९२. ७८. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002112
Book TitleSamadhimaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajjan Kumar
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Epistemology
File Size10 MB
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