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________________ श्रमणाचार : २३९ कर उपाश्रय के मध्य स्थान में, सम-विषम, वायु-युक्त या वायु-रहित स्थान में भूमि का प्रतिलेखन व प्रमार्जन करे तत्पश्चात् यतनापूर्वक निर्दोष शय्या-संस्तारक को बिछाये ।१४७ संस्तारक पर बैठने और शयन करने को विधि : ___ मुनि यदि संस्तारक पर बैठना चाहे तो बैठने के पहले अपने समूचे शरीर की प्रतिलेखना व प्रमार्जना कर ले। तदनन्तर शय्या पर बैठकर यतना पूर्वक शयन करे। शयन करते हुए वह दूसरे साधु की हाथ-पैर या शरीर द्वारा आशातना न करे अर्थात् इस तरह शयन करे कि एकदूसरे का अविनय न हो। इसके अतिरिक्त उच्छ्वास-निःश्वास लेते हुए, खांसते हुए, जंभाई लेते हुए और अपान वायु छोड़ते समय मुख को एवं गुदा को हाथ से ढंककर विवेकपूर्वक सभी क्रियाएं करे । १४८ हर परिस्थिति में समतामय आचरण : ___ संयम-साधना में तत्पर श्रमण-श्रमणी को किसी समय सम या विषम शय्या मिले, हवा-रहित या हवादार स्थान मिले, धूलयुक्त या धूलरहित, डांस-मच्छर युक्त या उससे रहित शय्या मिले, जीर्ण-शीर्ण या सुदृढ़ शय्या मिले, उपसर्ग युक्त या उपसर्ग रहित शय्या मिले, सभी स्थितियों में समभाव पूर्वक निवास करे । खेद का अनुभव न करे । अनुकूल स्थान उपलब्ध होने पर राग न करे और प्रतिकूल स्थान मिलने पर द्वेष न करे । वास्तव में यही साधु की साधुता है और इसी पथ पर गतिशील साधक चरम साध्य प्राप्त कर सकता है। भावान-भण्ड निक्षेप समिति : उपकरणों या वस्तुओं को उठाने-रखने में सम्यक् प्रवृत्ति का नाम ही आदान-निक्षेप समिति है । निर्ग्रन्थ तपस्वी इस समिति का विवेकपूर्वक पालन करता है। भिक्षा हेतु जाने से पूर्व की विधि : ____संयमशील मुनि भिक्षा के लिए जाने से पहले पात्रादि का सम्यक् रूप से प्रतिलेखन करे । यदि उसमें क्षुद्र जीवजन्तु हों तो बाहर निकाल कर एकान्त में छोड़ दे, रज आदि प्रमाजित कर दे। तदनन्तर यत्नपूर्वक भिक्षा के लिए जाए क्योंकि बिना प्रतिलेखन ओर प्रमार्जन किए पात्र को ले जाने से उसमें रहे हुए जीव-जन्तु, बीज आदि का घात हो सकता है।४९ परिष्ठापनिका समिति : मल-मूत्र, नाक का श्लेष्म आदि का एकान्त, निर्दोष, निरवद्य एवं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002111
Book TitleAcharanga ka Nitishastriya Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanshreeji
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Research, & Ethics
File Size13 MB
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