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________________ २०० : आचाराङ्ग का नीतिशास्त्रीय अध्ययन ६९. आचारांग, २।१५. ७०. वही, १।३।३ एवं १।५।६. ७१. वही, १।३।३ एवं १।५।६. ७२. तत्त्वार्थसूत्र, ९।४. ७३. उत्तराध्ययन, ३१।२. ७४. आचारांग, २।१५. ७५. वही, २।१५. ७६. वही, २११५. ७७. वही, २।१५. ७८. वही, २।१५. ७९. प्रश्नव्याकरणसूत्र द्वितीय संवरद्वार-१. ८०. आचारांग, १।८।३. ८२. सम्पा० श्रीरामनाथ 'सुमन' गांधीवाणी, प्रका०, साधना सदन, ६९, ___ लकरगंज, इलाहाबाद, सन् १९४७, पृ० ५७. ८३. आचारांग, १।८५. ८४. आचारांग, ११८७. ८५. उत्तराध्ययन, सर्वार्थसिद्धि परीषह ८६. ओघनियुक्ति, सटीक गा० ६४. ८७. आवश्यक ( हारिभद्रीय वृत्ति ), पृ० ६६१-६२, उद्धृत-धर्म और दर्शन ले० श्रीदेवेन्द्रमुनि शास्त्री, प्रका० सन्मति ज्ञानपीठ लोहामण्डी, आगरा, प्रथम संस्करण सन् १९६७, पृ० १८९. ८८. उत्तराध्ययन, २९।४४. ८९. आचारांग, २।१।१०. ९०. वही, २।१।१०, ( आत्मारामजी ) सूत्र-५६-५७. ९१. आचारांग, २।१।१५. ९२. दशवकालिक, ९।२।२२. ९३. आचारांग, २।१. ९४. वही, १।२।३. ९५. वही, १।२।३ ९६. वही, १।१७. ९७. गीता-६।३२ एवं ईशावास्योपनिषद्, ६, ७. ९८. आचारांग, ११११३. ९९. वही, १।५।५. १००. वही, १।५।५. १०१वही, १।४।१. १०२. दशवकालिक चूणि अ० १, १०३. हरिभद्र, अष्टकप्रकरण-१६।५. १०४. वही, १६।५. १०५. योगशास्त्र प्रकाश-२ १०६. आचारांग, १।२।२. १०७. प्रश्नव्याकरण सूत्र-संवरद्वार १. १०८. वही, १. १०९. समन्तभद्र, बृहत्स्वयम्भूस्तोत्र, मूलचन्द किसनदास कापड़िया प्रथम आवृत्ति वी० सं० २४५८, सूरत, नेमिनाथ जिनस्तुति गा० ११९. ११०. आचारांग, २१५. १११. वही, २१५. ११२. वही, १।३।२. ११३. वही, १॥३॥३. ११४. वही, ११३१३. ११५. प्रश्नव्याकरण सूत्र, संवरद्वार-१. ११६. उत्तराध्ययन आत्माराम टी०, पृ० ११२२. ११७. गांधीवाणी, पृ० १५, १२-१८. ११८. शतपथ ब्राह्मण, २।१।४।१०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002111
Book TitleAcharanga ka Nitishastriya Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanshreeji
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Research, & Ethics
File Size13 MB
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