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________________ पंपयुग .५७ यथार्थ है तो इन आचार्यों के सम्बन्ध में निम्नलिखित बातें जानने योग्य हैं। त्रिलोकसार के टीकाकार माधवचन्द्र आचार्य नेमिचन्द्र के शिष्य मालूम होते हैं। मूल ग्रंथ में भी इनकी कई गाथाएं सम्मिलित है। बल्कि संस्कृत टीका की उत्थानिका से ज्ञात होता है कि गोम्मटसार में भी इनकी कई गाथायें समाविष्ट की गयी हैं। संस्कृत गद्यमय क्षपणसार भी जो कि लब्धिसार में शामिल है, इन्हीं माधवचन्द्र की रचना है। सिद्धान्तचक्रवर्ती नेमिचन्द्र के गोम्मठसार की रचना में केवल माधवचन्द्र का ही नहीं अपितु बाचार्य कनकनन्दि का भी सहयोग रहा है। स्व० नाथूरामजी प्रेमी के मतानुसार गंगनरेश राचमल के महामंत्री चाउण्डराय, सिद्धान्तचक्रवर्ती नेमिचन्द्र वीरनन्दि, इन्द्रनंदि, कनकनंदि और माधवचन्द्र इन सब का काल विक्रम संवत् १२ वीं शताब्दी का पूर्वाद्ध है।' ऐसी अवस्था में नरसिंहाचार्य द्वारा अनुमित सोमनाथ के काल में और प्रेमी जी द्वारा अनुमित काल में थोड़ा-बहुत अंतर अवश्य पड़ेगा । इसका यही समाधान है कि उपयुक्त दोनों काल केवल अनुमानित हैं। इसलिए सोमनाथ के काल में थोड़ा-बहुत घटाने-बढ़ाने में कोई बाधा उपस्थित नहीं होगी। कीर्तिवर्म (ई० सन् ११२५ ) के गोवैद्य को छोड़कर आज तक के उपलब्ध सभी कन्नड वैद्यक ग्रंथों में कन्नड कल्याणकारक प्राचीन एवं प्रकाशनीय है। . वृत्तविलास इन्होंने धर्मपरीक्षा लिखी है । प्राक्काव्यमालिका में प्रकाशित शास्त्रसार के कुछ अंशों से पता लगता है कि इन्होंने शास्त्रसार नामक एक अन्य ग्रंथ भी रचा है। कवि ने अपनी रचना में अपने सम्बन्ध में कुछ भी नहीं लिखा है। अतः कवि के कालनिर्णय का आधार उनके द्वारा स्तुत गुरुपरम्परा ही है । इस गुरुपरम्परा में उन्होंने व्रती शुभकीर्ति, सिद्धांती माधवनंदि, यति भानुकीर्ति, धर्मभूषण, अमरकीर्ति, वागीश्वर और अभयसूरि नाम गिनाये हैं। श्री आर० नरसिंहाचार्य ने उपयुक्त आचार्यों के काल के आधार पर वृत्तविलास का काल ई० सन् ११६० निर्धारित किया है। कवि के सम्बन्ध में विशेष कुछ भी ज्ञात नहीं है। वृत्तविलास के श्रद्धेय गुरु अमरकीर्ति हैं। धाचार्य अमितगतिकृत धर्मपरीक्षा को ही वृत्तविलास ने कन्नड भाषा भाषियों १. जैन साहित्य और इतिहास, पृष्ठ ३०० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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