SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११२ इस पद्य से यह भी नामक साहित्यिक ग्रन्थ की हुआ है । जैन साहित्य का बृहद् इतिहास ज्ञात होता है कि कवि अरिसिंह ने 'कवितारहस्य' रचना की थी, परन्तु यह ग्रन्थ अभी तक प्राप्त नहीं कवि जल्हण की 'सूक्तिमुक्तावली' में अरसी ठक्कुर व चार सुभाषित उद्धृत हैं । इससे अरिसिंह के ही 'अरसी' होने का कई विद्वान् अनुमान करते हैं । 'कविशिक्षा' में ४ प्रतान, २१ स्तत्रक एवं ७९८ सूत्र हैं । काव्यकल्पलता-वृत्ति : संस्कृत साहित्य के अनेक ग्रंथों की रचना करनेवाले, जैन-जैनेतर वर्ग में अपनी विद्वत्ता से ख्याति पानेवाले और गुर्जरनरेश विशलदेव ( वि० सं० १२४३ से १२६१ ) की राजसभा को अलंकृत करनेवाले वायडगच्छीय आचार्य जिनदत्तसूरि के शिष्य आचार्य अमरचंद्रसूरि ने अपने कलागुरु कवि अरिसिंह के 'कवितारहस्य' को ध्यान में रखकर 'कविशिक्षा' नामक ग्रन्थ की श्लोकमय सूत्रबद्ध रचना की, जिसमें कई सूत्र कवि अरिसिंह ने और कुछ सूत्र आचार्य अमरचन्द्रसूरि ने बनाये हैं । इस 'कविशिक्षा' पर आचार्य अमरचन्द्रसूरि ने स्वयं ३३५७ श्लोक - परिमाण काव्यकल्पलता-वृत्ति' की रचना की है। इसमें ४ प्रतान, २१ स्तबक और ७९८ सूत्र इस प्रकार हैं : प्रथम छन्दः सिद्धि प्रतान है । इसमें १. अनुष्टुप्रशासन, २. छन्दोऽभ्यास, ३. सामान्यशब्द, ४. वाद और ५. वर्ण्यस्थिति - इस प्रकार ५ स्तबक ११३ श्लोकबद्ध सूत्रों में हैं । दूसरा शब्दसिद्धि प्रतान है । इसमें १. रूढ़ - यौगिक-मिश्रशब्द, २. यौगिकनाममाला, ३. अनुप्रास और ४. लाक्षणिक — इस प्रकार ४ स्तबक २०६ श्लोकबद्ध सूत्रों में हैं । तीसरा श्लेषं-सिद्धि प्रतान है । इसमें १. श्लेषव्युत्पादन, २. सर्ववर्णन, ३. उद्दिष्टवर्णन, ४. अद्भुतविधि और ५. चित्रप्रपञ्च - इस प्रकार पांच स्तबक १८९ श्लोकबद्ध सूत्रों में हैं । १. यह 'कविकल्पलतावृत्ति' नाम से चौखंबा संस्कृत-सिरीज, काशी से छप गयी है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy