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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास २ १. सम्यक्त्वारोपण की विधि, २ . परिग्रह के परिमाण की विधि, ३.. सामायिक के आरोपण की विधि, ४. सामायिक लेने और पारने की विधि, ५. उपधान - निक्षेपण की विधि, ६. उपधान - सामाचारी, ७ उपधान की विधि, ८. मालारोपण की विधि, ९. पूर्वाचार्यकृत उवहाणपइट्ठापंचाशय' ( उपधानप्रतिष्ठापंचाशक ), १०. पौषघ की विधि, ११. दैवसिक प्रतिक्रमण की विधि, १२. पाक्षिक प्रतिक्रमण की विधि, १३. रात्रिक प्रतिक्रमण की विधि, १४. तप की विधि, १५. नन्दी की रचना की विधि, १६. प्रव्रज्या की विधि, १७. लोंच करने की विधि, १८. उपयोग की विधि, १५. आद्य अटन की विधि, २०.. उपस्थापना की विधि, २१. अनध्याय की विधि, २२. स्वाध्याय प्रस्थापन की विधि, २३. योग- निक्षेप की विधि, २४. योग की विधि, २५. कल्प-तिप्प सामाचारी, २६. याचना की विधि, २७. वाचनाचार्य की प्रस्थापना की विधि, २८. उपाध्याय की प्रस्थापना की विधि, २९. आचार्य की प्रस्थापना की विधि, ३०. प्रवर्तिनी और महत्तरा की प्रस्थापना की विधि, ३१. गण की अनुज्ञा की विधि, ३२. अनशन की विधि, ३३. महापारिष्ठापनिका " की विधि, ३४. प्रायश्चित्त की विधि, ३५. जिनबिम्ब की प्रतिष्ठा की विधि, ३६. स्थापनाचार्य की प्रतिष्ठा विधि, ३७. मुद्रा - विधि, ३८. चौसठ योगिनियों के नामोल्लेख के साथउनका उपशम-प्रकार, ३९. तीर्थयात्रा की विधि, ४० तिथि की विधि और ४१. अंगविद्या - सिद्धि को विधि | ३०२ इन द्वारों में निरूपित विषयों के तीन विभाग किये जा सकते हैं । १ से १२ द्वारों में आनेवाले विषय मुख्यरूप से श्रावक के जीवन के साथ सम्बन्ध रखते हैं, १३ से २९ तक के विषयों का मुख्य सम्बन्ध साधु-जीवन के साथहै, जबकि ३० से ४१ तक के विषयों का सम्बन्ध श्रावक एवं साधु दोनों के जीवन से है । १. इसमें ५१ पद्य जैन महाराष्ट्री में हैं । २. इसमें अनेक प्रकार के तपों के नाम आते हैं । मुकुट -सप्तमी आदि तप अनादरणीय हैं, ऐसा भी कहा है । ३. इस विषय में अनुशिष्टि के रूप उद्घृत की गई हैं वे माननीय हैं । पृ० ६८ से ७१ पर जो ३ से ५५ गाथाएँ ४. इसमें कालधर्मप्राप्त साधु के शरीर के अन्तिम संस्कार का निरूपण है । ४. इसकी रचना विनयचन्द्रसूरि के उपदेश से की गई है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002097
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, Agam, Karma, Achar, & Philosophy
File Size14 MB
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