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________________ ज्योतिष्करण्डकवृत्ति जीवाभिगमविवरण व्यवहारविवरण राजप्रश्नीयविवरण पिण्डनियुक्ति-वृत्ति आवश्यकविवरण बृहत्कल्प-पीठिकावृत्ति मलधारी हेमचन्द्रसूरिकृत टीकाएँ __ आवश्यकटिप्पण अनुयोगद्वारवृत्ति विशेषावश्यकभाष्य-बृहवृत्ति नेमिचन्द्रसूरिकृत उत्तराध्ययनवृत्ति श्रीचन्द्रसूरिकृत टीकाएँ निशीथचूर्णि-दुर्गपदव्याख्या निरयावलिकावृत्ति जीवकल्पबृहच्चूर्णि-विषमपदव्याख्या आचार्य क्षेमकीर्तिकृत बृहत्कल्पवृत्ति मणिक्यशेखरसूरिकृत आवश्यकनियुक्ति-दीपिका ___ अजितदेवसूरिकृत आचारांगदीपिका विजयविमलगणिविहित गच्छाचारवृत्ति विजयविमलगणिविहित तन्दुलवैचारिकवृत्ति वानरर्षिकृत गच्छाचारटीका भावविजयगणिकृत उत्तराध्ययनव्याख्या समयसुन्दरसूरिसंदृब्ध दशवकालिकदीपिका ज्ञानविमलसरिग्रथित प्रश्नव्याकरण-सुखबोधिकावृत्ति __ लक्ष्मीवल्लभगणिविरचित उत्तराध्ययनदीपिका दानशेखरसूरिसंकलित भगवती-विशेषपदव्याख्या संघविजयगणिकृत कल्पसूत्र-कल्पप्रदीपिका विनय विजयोपाध्यायविहित कल्पसूत्र-सुबोधिका समयसुन्दरगणिविरचित कल्पसूत्र-कल्पलता शान्तिसागरगणिविदृब्ध कल्पसूत्र-कल्पकौमुदी पृथ्वीचन्द्रसूरिप्रणीत कल्पसूत्र-टिप्पणक ___ लोकभाषाओं में निर्मित व्याख्याएँ आगमिक व्याख्याओं में सामग्री-वैविध्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002096
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages520
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size19 MB
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