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________________ मरु-गुर्जर जैन साहित्य १३९ नागौर निवासी थे। 'प्रमाणनयतत्त्वलोकालंकार' नामक दार्शनिक ग्रंथ आप की विशिष्ट रचना मानी जाती है। आप की दूसरी रचना 'मुनिचन्द्र सूरि स्तुति जैन श्वेताम्बर कान्फ्रन्स हेरल्ड के सन् १९१७ के सितम्बर, नवंबर अंक में प्रकाशित हई है। यह प्रकाशन गुजराती छाया के साथ है और रचना को अपभ्रंश की ही कहा गया है । विजयसेन सूरि--आप महामात्य वस्तुपाल के धर्माचार्य थे। आपके गुरु नागेन्द्र गच्छ के आचार्य हरिभद्र सूरि थे । वस्तुपाल तेजपाल द्वारा सं० १२८७ में आबू में नेमिनाथ की मूर्ति प्रतिष्ठा आपने ही कराई थी। आप की प्रसिद्ध रचना 'रेवंतगिरि रास' में गिरनार तीर्थ का मनोहर वर्णन हुआ हैं। यह रचना वि० सं०१२८७-८८ में की गई । यह कृति 'प्राचीन गुर्जर काव्य संग्रह' में प्रथम स्थान पर संकलित है। इसमें कुल चार कड़वक हैं जिनमें क्रमशः २०,१०,२२ और २० पद्य हैं। इसमें लेखक ने रचनाकाल का कहीं उल्लेख नहीं किया है किन्तु यह प्रतिष्ठाकालके पास की ही रचना होगी। अतः नाहटा जी ने इसका रचनाकाल सं० १२८७ ही स्वीकार किया है । इस कृति के तीसरे कडवक के २०वें छन्द में कवि का नाम इस प्रकार आया है 'रंगिहि मे रमइ जो रासु सिरि विजयसेणि सूरि निम्मवउ । नेमि जिण तूस उ तासु अंबिक पूरइ मणिरली ।२०। _ 'रंगिहि रमइ' के आधार पर विद्वानों ने कहा है कि यह या इस प्रकार के प्रारम्भिक रास नत्य-गेय प्रधान थे और मन्दिर-प्रतिमा आदि की प्रतिष्ठा उत्सवों पर खेले जाते थे। इस रचना के प्रथम कडवक के आठवें छन्द में लेखक का नाम इतने आदर से आया है कि शंका होने लगती है कि स्वयं इस प्रकार अपने नाम का उल्लेख लेखक ने ही किया है या उनके शिष्य ने बाद में जोड़ दिया है। उनके एक शिष्य उदयप्रभ सूरि ने 'संघपति चरित और धर्माभ्युदय आदि लिखा तथा अन्य कई रचनायें की। वे पंक्तियाँ इस प्रकार हैं "नायल गच्छह मंडणउ विजयसेण सूरिराउ । उवएसिहि विहु नरपवरे घम्मि धरिउ दिढुभाउ ।" __ आप की गुरु परम्परा इस प्रकार है- नागेन्द्र गच्छीय महेन्द्रसूरि के शिष्य शान्ति सूरि, आनन्द सूरि, अमर सूरि, हरिभद्र सूरि के आप शिष्य थे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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