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________________ प्रमाण शंका-चक्षुसे किरणे निकलती हैं और वे पदार्थके पास जाती हैं, इसलिए चक्षु प्राप्यकारी है। उत्तर-यदि हमारी आंखसे किरणे निकलती होतो तो कमसे कम रात्रिके अन्धकारमें तो वे अवश्य दिखाई देती । शंका-बिल्लोकी आँखसे किरणें निकलती हुई दिखाई देती हैं ? उत्तर-विल्लीको आँखमें किरणें होनेसे हमारी आँख में किरणोंका होना तो सिद्ध नहीं हो सकता। सुवर्णको पीला देखकर यह नियम नहीं बनाया जा सकता कि जो जो पीला होता है वह सब सुवर्ण होता है। इसी तरह बिल्लीको आँखमें किरणें देखकर यह नियम नहीं बनाया जा सकता कि सब आँखोंसे किरणे निकलती हैं। शंका-चक्षु तैजस है और तैजस होनेसे उसमें किरणोंका होना सिद्ध हो है। उत्तर-यदि चक्षु तैजस है तो उसे गरम होना चाहिए; क्योंकि तेजका लक्षण उष्णता है । तथा चमकीली भी होना चाहिए। शंका-यद्यपि चक्षु तैजस है फिर भी उसमें उष्ण स्पर्श और चमकीला रूप प्रकट नहीं है। उत्तर-ऐसा तैजस द्रव्य देखा जाता है जिसमें उष्ण स्पर्श प्रकट नहीं रहता किन्तु चमकीला रूप रहता है; जैसे दीपकको प्रभामें । और ऐसा भी तैजस द्रव्य देखा जाता है जिसमें उष्ण स्पर्श रहता है, किन्तु चमक नहीं रहती जैसे गरम पानी । किन्तु ऐसा तैजस द्रव्य नहीं देखा गया जिसमें रूप और स्पर्श दोनों हो प्रकट न हों। शंका-ऐसा सुवर्ण है। उत्तर-सुवर्ण तैजस नहीं है । अतः तैजस होनेसे चक्षुमें किरणोंका होना सिद्ध नहीं किया जा सकता। शंका-चक्षु तैजस है; क्योंकि वह रूपका ही प्रकाशन करती है । उत्तर-आपके इस हेतुमें चन्द्रमाके उद्योतसे व्यभिचार आता है। चन्द्रमाका प्रकाश भी केवल रूपका ही प्रकाशन करता है किन्तु वह तैजस नहीं माना जाता, पार्थिव माना जाता है । शंका-चन्द्रमाका प्रकाश भो तैजस है। १. न्यायवा० पृ० ३८१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002089
Book TitleJain Nyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1966
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Nyay, & Epistemology
File Size16 MB
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