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________________ प्रास्ताविक : ११ तृतीय अधिकार में पंचेन्द्रिय निरोध, कृतिकर्म, चितिकर्म, विनयकर्म आदि का विस्तृत विवेचन तथा मुनियों की वन्दना, पार्श्वस्थादि मुनियों का स्वरूप प्रतिपादित है। चतुर्थ अधिकार में षडावश्यकों का स्वरूप, केशलुञ्च, आसिका, निषिद्धिका आदि विषयों का विवेचन है । पंचम अधिकार में सम्यग्दर्शन तथा उसके अंगों का विवेचन है । षष्ठ अधिकार में आचार के पांच भेद, तप, गुप्ति आदि विषयों का भेदोपभेद पूर्वक कथन किया गया है । सप्तम अधिकार में मुनियों एवं आर्यिकाओं की समाचार नीति का भेदप्रभेद पूर्वक वर्णन तथा एकल विहार के दोषों का कथन है। अष्टम अधिकार में अनगार की दस भावनाओं रूप शुद्धियों का विवेचन है। नवम अधिकार में आहार शुद्धि, आहार के दोष, पिच्छी का स्वरूप, समाधिमरण की विधि आदि विषयों का प्रतिपादन है। दशम अधिकार में समाधिमरण की विस्तृत विधि तथा मरण के अन्यान्य भेदों का प्रतिपादन है। एकादश अधिकार में उत्तरगुणों एवं शीलों के भेदोपभेद पूर्वक उनका स्वरूप प्रतिपादित है । बारहवें अन्तिम अधिकार में अनुप्रेक्षा, परिषहजय और ऋद्धियों का भेदोपभेद पूर्वक स्वरूप प्रतिपादित किया गया है । विशेष ज्ञातव्य यह है कि मूलाचार के पर्याप्ति नामक बारहवें अधिकार के विषयों का मूलाचार प्रदीप में विवेचन नहीं किया गया । मूलाचार के तीसरे व्याख्याकार आचार्य मेधचन्द्र हैं। इन्होंने इस पर कर्नाटक 'मूलाचारसद्वत्ति' की रचना की। चतुर्थ कर्नाटक टीका 'मुनिजन चिन्तामणि' नाम से मिलती है, इसमें मूलाचार को कुन्दकुन्दाचार्य की रचना बताया है । एशियाटिक सोसायटी आफ बंगाल (कलकत्ता) से अपने पुस्तकालय के हस्तलिखित ग्रन्थों की "लिस्ट आफ जैना एम० एस० एस०" को (ग्रन्थ क्रमाङ्क १५२१) देखने से ज्ञात होता है कि मेधावी कवि द्वारा रचित भी एक अन्य 'मूलाचार टीका' है। वैसे १६ वीं शती के मेधावी कवि द्वारा लिखित धर्मसंग्रह-श्रावकाचार प्रसिद्ध ही है। इन्हीं कवि का उक्त टीका ग्रन्थ भी सम्भव है । पर इसके विषय में अन्यत्र कहीं भी अभी तक उल्लेख देखने में नहीं आया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002088
Book TitleMulachar ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1987
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size23 MB
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