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________________ २५६ : जैन एवं बौद्ध भिक्षुणी-संघ पातिमोक्ख : सम्पा०-आर० डी० वाडेकर, भण्डारकर ओरियण्टल सीरीज प्रथम, भण्डारकर ओरियण्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना १९३९ । पाराजिक पालि : नालन्दा देवनागरो पालि ग्रन्थमाला पालि पब्लिकेशन बोर्ड (बिहार सरकार) १९५८ । पिण्डनियुक्ति : भद्रबाहु, मलयाचार्य वृत्ति, देवचन्द लाल भाई जैन पुस्तकोद्धार संस्था, बम्बई, १९१८ । प्रवचनसार : कुन्दकुन्दाचार्यविरचित, सम्पा०-ए. एन० उपाध्ये, श्रीमद राजचन्द्र जैन शास्त्र माला, गुजरात, १९६४।। बुद्धवंस : सम्पा०-राहुल सांकृत्यायन, उत्तमभिक्खु । भिक्षुणी विनय : सम्पादक-गुस्तव राथ, रंगून, १९३७ । के० पी० जायसवाल रिसर्च इन्स्टीट्यूट पटना, १९७० । मज्झिम निकाय : अनु०-राहुल सांकृत्यायन, द्वितीय संस्करण, १९६४, महाबोधिसभा, सारनाथ, वाराणसी, १९६४। महाभारत : वेदव्यासप्रणोत गोता, प्रेस, पो० गोता प्रेस, गोरखपुर। महावंस : अनु०-डब्ल्यू० गाइगर, सोलोन गवर्नमेंट, इन्फार्मेशन डिपार्टमेण्ट, कोलम्बो । महावग्ग पालि : नालन्दा देवनागरी पालि ग्रन्थमाला, बिहार राजकीय पालि प्रकाशन मण्डल, १९५६ । मालतीमाधव : भवभूतिविरचित, लोक भारती प्रकाशन, इलाहाबाद, १९७३ ।। मूलाचार (प्रथम एवं द्वितीय : माणिकचन्द्र, दि. जैन ग्रन्थमाला समिति, गिरगाँव, बम्बई, वि० सं० १९७७ । रामायण : वाल्मीकिकृत, सम्पा०-एस० कुप्पुस्वामी शास्त्री, मद्रास लॉ जर्नल प्रेस, १९३३ । भाग) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002086
Book TitleJain aur Bauddh Bhikshuni Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArun Pratap Sinh
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1986
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size11 MB
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