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________________ भिक्षु-भिक्षुणी सम्बन्ध एवं संघ में भिक्षुणी को स्थिति : १९५ अट्रकथा' में उल्लेख है कि एक भिक्षु-भिक्षुणी सदैव एक साथ बैठकर गप्प मारा करते थे। प्रव्रज्या ग्रहण करने के पहले गृहस्थ-जीवन में वे पति-पत्नी थे तथा प्रव्रज्या के बाद भी उसी सम्बन्ध के आधार पर गप्प मारा करते थे-ऐसी प्रवृत्तियों की बुद्ध ने निन्दा की थी। इसी प्रकार मज्झिमनिकाय में भिक्षु-भिक्षुणी के मध्य घनिष्ठ सम्बन्ध की एक मनोरंजक सूचना मिलती है ।२ भिक्षु मोलिय फग्गुण के सामने यदि कोई भिक्षुणियों की निन्दा करता था तो वे अप्रसन्न हो जाते थे तथा कलह भी कर लेते थे। इसी प्रकार भिक्षुणियाँ भी अपने सामने मोलिय फग्गुण की बुराई नहीं सुन सकती थीं तथा वे भी असन्तुष्ट हो संघ के समक्ष अधिकरण (कलह) करने लगती थीं । इस सम्बन्ध में बुद्ध ने स्वयं मोलिय फरगण को उपदेश दिया था कि उन्हें अपने अन्दर राग का दमन करना चाहिए। हम अभिलेखों में भिक्षु-.िक्षुणियों को साथ-साथ दान देते हुये पाते हैं। अमरावती से प्राप्त एक बौद्ध अभिलेख (Amaravati Buddhist Sculpture Inscription) में एक चेतियवंदक भिक्षु-भिक्षुणी (जो गृहस्थजीवन में भाई-बहन थे) द्वारा एक साथ दान देने का उल्लेख है। यहाँ हम देखते हैं कि प्रव्रज्या के पश्चात् भी भाई-बहन की घनिष्ठता एकदम से समाप्त नहीं हो जाती थी। इसी प्रकार अमरावती से प्राप्त एक अन्य अभिलेख में भी भिक्ष-भिक्षुणी के साथ-साथ दान देने का उल्लेख है। अमरावती" से ही प्राप्त एक अन्य अभिलेख में आय बुद्धरक्षित की अन्तेवासिनी भिक्षुणी नन्दा तथा अन्तेवासिक भिक्षु क्षुद्र आर्यक के एक साथ दान देने का उल्लेख है। अमरावती के ही एक अन्य अभिलेख में दो भिक्षुणियों के दान का उल्लेख है, जो पूर्व गृहस्थ-जीवन में माता एवं पुत्री थीं। प्रव्रज्या के बाद भी उनका सम्बन्ध यथावत बना रहा । महापण्डित सारिपुत्र के साथ उनकी तीनों बहनों चाला, उपचाला तथा शिशू १. धम्मपद, १६/१. २. मज्झिम निकाय, १/२१. 3. List of Brahmi Inscriptions, 1223. 4. Ibid, 1295. 5. Ibid, 1280. 6. Ibid, 1262. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002086
Book TitleJain aur Bauddh Bhikshuni Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArun Pratap Sinh
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1986
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size11 MB
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