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________________ जैन परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य स्वामी के पूर्व के २३ तीर्थंकरों के विषय में प्रामाणिकता नहीं मानते। (३) वस्तुतः यह हमारे इतिहास का अपूर्णताजनित भ्रम है। (४) अन्यथा भगवान पार्श्वनाथ एवं भगवान नेमिनाथ की ऐति सिक प्रामाणिकता में संदेह के लिए अब कोई अवकाश ही नहीं रह गया है। ऋग्वेद और यजुर्वेद जैसे प्राचीन ग्रन्थों में अरिष्ट नेमि के संदर्भ प्राप्त होते हैं। भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण अन्योन्याश्रित वस्तुस्थिति यह है कि श्रीकृष्ण के प्रसंगों के बिना भगवान अरिष्टनेमि चरित अपूर्ण ही रह जाता है। साथ ही जहाँ श्रीकृष्ण चरित वर्णित हुआ है वहाँ अरिष्टनेमि प्रसंग उसके अनिवार्य-अंग के रूप में विद्यमान रहा है। कतिपय ग्रन्थों में तो श्रीकृष्ण की महत्ता भगवान अरिष्टनेमि की अपेक्षा भी अधिक उभरी है। उनकी अपनी गरिमा तो रही है, साथ ही भगवान नेमिनाथ के जीवन और परिवार से संबद्ध रहने के कारण भी जैन साहित्य में श्रीकृष्ण को पर्याप्त सम्माननीय स्थान और गौरव प्राप्त हुआ है। भगवान के अत्युच्च गरिमापूर्ण धर्मव्यक्तित्व के प्रति श्रीकृष्ण के मन में सदा श्रद्धा का स्थान रहा है। भगवान द्वारा संकेतित करुणा और अहिंसा के मार्ग पर श्रीकृष्ण भरसक गतिशील रहे। यह इस बात का प्रतीक है कि श्रीकृष्ण धर्म के प्रति अतिशय रुचिशील थे। वे करुणा, मैत्री और अहिंसा की महती भावनाओं से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने हिंसापरित यज्ञों का विरोध करते हुए उन यज्ञों की उत्तमता का समर्थन किया जिनमें जीवहिंसा का समावेश नहीं था। यही नहीं, उन्होंने यज्ञों की अपेक्षा कर्म को अधिक महत्वपूर्ण माना और कर्म के लिए वे सबल प्रेरक बने। जब जब भगवान नेमिनाथ स्वामी का द्वारका आगमन हुआ, श्रीकृष्ण समस्त राजकाज छोड़कर भगवान के दर्शनार्थ उनकी सभा में जाते थे। ऐसे अनेक प्रसंग आगमेतर ग्रन्थों में वर्णित मिलते हैं। वासुदेव होने के नाते वे स्वयं संयम मार्ग के अनुयायी नहीं हो सके, किंतु उन्होंने स्वयं ही भगवान के समक्ष संकल्प ग्रहण किया था कि "मैं इस मार्ग के अनुसरण हेतु अधिकाधिक ४. अन्तगड सूत्र-३, २३, ५२, ६८ देखिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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