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________________ Jain Education International वाहन संख्या यक्षी २१. (i) गान्धारो (या मालिनो)-श्वे० भुजा संख्या चार या आठ परिशिष्ट (ii) चामुण्डा (या कुसुम- मालिनी २२. अंबिका (या कुष्माण्डी या आम्रादेवी)-(क) श्वे० (ख) दि० मकर (या मकंट) चार या आठ सिंह चार सिंह दो For Private & Personal Use Only २३. पद्मावती-(क) श्वे० (ख) दि० कुक्कुट-सर्प (या कुक्कुट) चार पद्म (या चार कुक्कुट-सर्प या छह कुक्कुट) आयुध वरदमुद्रा, खड्ग, बोजपूरक, कुम्भ (या शूल या फलक)। अक्षमाला, वज्र, परशु, नकुल, वरदमुद्रा, खड्ग, खेटक, मातुलिंग, (देवतामूर्तिप्रकरण) दण्ड, खेटक, अक्षमाला, खड्ग शूल, खड्ग, मुद्गर, पाश, वज्र, चक्र, डमरू, अक्षमाला, (अपराजितपृच्छा) मातुलिंग (या आम्रलुम्बि), पाश, पुत्र, अंकुश एक पुत्र समीप ही निरूपित होगा। अम्रलुम्बि, पुत्र । दूसरा पुत्र आम्रवृक्ष की फल, वरदमुद्रा (अपराजितपृच्छा) छाया में अवस्थित यक्षी के समीप होगा। पद्म, पाश, फल, अंकुश शीर्षभाग में विसर्पफणछत्र (i) अंकुश, अक्षसूत्र (या पाश), पद्म, शीर्षभाग में तीन सर्पफणों वरदमुद्रा का छत्र (i) पाश, खड्ग, शूल, अर्धचन्द्र, गदा, मुसल (ii) शंख, खड्ग, चक्र, अवंचन्द्र, पद्म, उत्पल, धनुष, शक्ति, पाश, अंकुश, घंटा, बाण, मसल, खेटक, त्रिशूल, परशु, कुंत, भिंड, माला, फल, गदा पत्र, पल्लव, वरदमुद्रा पुस्तक, अभयमुद्रा, मातुलिंग (या पाश), बाण (या वीणा या पद्म)। पुस्तक, अभयमुद्रा, वरदमुद्रा, खरायुध, वीणा, फल (मन्त्राधिराजकल्प) वरदमुद्रा (या अभयमुद्रा), पुस्तक २४. (i) सिद्धायिका-श्वे० सिंह या गज चार या छह www.jainelibrary.org (ii) सिद्धायिनी-दि० भद्रासन (या सिंह) दो
SR No.002076
Book TitleKhajuraho ka Jain Puratattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaruti Nandan Prasad Tiwari
PublisherSahu Shanti Prasad Jain Kala Sangrahalay Khajuraho
Publication Year1987
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Art, & Statue
File Size10 MB
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