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________________ प्रकाशकीय जैन धर्म का मौलिक इतिहास (चार खण्ड) आध्यात्मिकता के गौरव शिखर आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा. की अद्वितीय और अपूर्व देन है। आचार्यश्री ने जैन संस्कृति के हस्तलिखित ग्रंथागारों और ज्ञान भण्डारों से विपुल ऐतिहासिक सामग्री का चयन कर इस महत् अनुष्ठान को पूरा कर जैन संस्कृति के विकास में एक कीर्तिमान स्थापित किया। ऐतिहासिक सामग्री के संकलन, ऐतिहासिक कड़ियों को जोड़ने और प्रामाणिक आधार पर आचार्य श्री ने समाज शास्त्रीय पद्धति का अनुसरण करके जैन धर्म के मौलिक इतिहास का भव्यवन निर्मित किया है। इसके प्रथम भाग में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से अन्तिम तीर्थंकर महावीर तक का इतिहास है। द्वितीय भाग में वीर निर्वाण संवत् 1 से 1000 वर्ष के काल का इतिहास प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात् 1500 वर्षों का इतिहास तृतीय और चतुर्थ खण्ड में है। ___ जैन धर्म का मौलिक इतिहास के चार भाग प्रकाशित हो चुके हैं। जैन धर्म का मौलिक इतिहास (द्वितीय भाग) के इस चतुर्थ संस्करण को प्रस्तुत करते हुए हमें अत्यधिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। __ अंत में हम आराध्य गुरुदेव आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा. एवं आचार्य श्री हीराचन्द्र जी म.सा. के प्रति प्रगाढ़ निष्ठा व्यक्त करते हैं, जिनके द्वारा इस महत् अनुष्ठान की सम्पूर्ति हुई। हम सम्पादक मण्डल के समस्त सदस्यों और उन सबके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने समय-समय पर योग देकर अपना दायित्व वहन किया है। निवेदक : चेतनप्रकाश ड्रारवाल प्रकाशचन्द डागा पारसचन्द हीरावत चन्द्रराज सिंघवी अध्यक्ष मंत्री अध्यक्ष मंत्री सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल जैन इतिहास समिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002072
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2001
Total Pages984
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Pattavali
File Size19 MB
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