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________________ जिनविजय जीवन-कथा लाया करते थे जिसको उस धूनी के सम्मुख फोड़ कर उसका कुछ हिस्सा तो धनी के अग्नि देवता को अर्पण कर देते थे और बाकी का हिस्सा खाखी बाबा के सम्मुख रखी हुई एक चौकी पर रख देते थे। जिसमें से कुछ टुकड़े अपने हाथ से उठाकर खाखी बाबा उन भक्त जनों को प्रसाद के रूप में दे दिया करते थे । भक्त जन उस प्रसाद को प्राप्त करके बड़े हर्षित होते थे और फिर अपनी शक्ति के अनुसार नकद चांदी के रुपये खाखी बाबा को भेंट करते थे। इस प्रकार उन खाखी बाबा के सामने रुपयों का ढेर लगता था जिनको भक्त जनों के चले जाने के बाद खाखी बाबा का मुख्य शिष्य उठाकर एक संदूक में रखता जाता था और वह सन्दूक खाखी बाबा के बैठने के पलंग के नीचे जाप्ते के साथ रखा रहता था। खाखी बाबा डीलडोल में अच्छे हृष्ट-पुष्ट थे सिर पर खूब गहरी जटा थी, और अच्छी लम्बी दाढ़ी थी सारे बदन पर भभूत लगाये रखते थे । कपाल पर चंदन का गोल लम्बा तिलक करते थे। कानों में स्फटिक कांच के बड़े कुण्डल पहनते थे। कमर में छोटा सा लंगोट बांधे रहते थे। जिससे पुरुष चिन्ह ढका रहे पलंग पर बगल में एक लम्बा सा लोहे का चिमटा पड़ा रहता था। . खाखी बाबा के दर्शन करने वाले लोगों की भीड़ उनके तम्बू के सामने लगी रहती थी। परन्तु तम्बू के दरवाजे के आगे खाखी बाबा के जैसे ही स्वरूप वाले दो शिष्य बैठे रहते थे। जो लोगों को बारी बारी से तम्बू के अन्दर जाने की इजाजत दिया करते थे। दो चार व्यक्तियों के सिवाय अधिक व्यक्तियों को तम्बू के अन्दर जाने नहीं देते थे। ' दोपहर को बारह बजे के बाद ३ बजे तक कोई भी व्यक्ति उनका दर्शन नहीं कर सकता था। उस समय वे अपना भोजनादि कार्य किया करते थे और कुछ आराम भी लिया करते थे। उनके साथ एक पीतल का कोई ३, ४ फुट जितना ऊंचा सिंहासन था, जिसमें चांदी का बना हुआ शिव लिंग स्थापित था। संध्या के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001967
Book TitleJinvijay Jivan Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherMahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada
Publication Year1971
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size11 MB
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