SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यथार्थ निर्णयपूर्वक ज्ञातृतत्त्व से ज्ञेयतत्त्व का विभागीकरण ) ( ११५ विवक्षित पर्याय में जानने की क्षमता के साथ-साथ यह भी निश्चित है कि वह किस ज्ञेय को जानेगी। योग्यता को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि तत्सम्बन्धी आवरण का क्षयोपशम है लक्षण जिसका ऐसी योग्यता अर्थात् उस योग्यता में जिस ज्ञेय को जानना है, तत्सम्बन्धी आवरण का क्षयोपशम होता है। इस सबसे यही सिद्ध होता है कि ज्ञान की प्रत्येक पर्याय का ज्ञेय भी निश्चित है और वह उसकी योग्यता में ही सम्मिलित है । जब ज्ञान का ज्ञेय भी निश्चित है तो फिर यह बात कहाँ रह जाती है कि क्या जाने और क्या न जाने इसका विवेक तो करना ही होगा, इस दिशा में कुछ न कुछ तो करना ही होगा । ―――――― तुझे इतना भी भार माथे पर नहीं रखना है तब निर्धार होगा और तभी ज्ञान की पर्याय का ज्ञेय आत्मस्वभाव बनेगा अर्थात् दृष्टिस्वभाव सन्मुख होगी । दृष्टि के स्वभाव सन्मुख होने का एकमात्र उपाय यही है ।” उपरोक्त विषय का समर्थन न्यायदीपिका में भी निम्नप्रकार किया "योग्यतैव विषय प्रतिनियम कारणमिति अर्थात् योग्यता ही विषय का प्रतिनियामक कारण है।" इसप्रकार निश्चित होता है कि ज्ञान की ज्ञेयाकार दिखने वाली पर्याय भी यथार्थतः ज्ञेय के आकार नहीं बन गई है, प्रत्युत वह तो उस ज्ञान की पर्यायगत योग्यता के सामर्थ्य का प्रकाशन ही है। ज्ञान पर्याय तो यथार्थतः ज्ञानाकार रहते हुए ही परिणम रही है। लेकिन उस समय उस पर्याय का परिचय कराने के लिए उस ज्ञेय को माध्यम बनाकर यह कहा जाता है कि अमुक पर्याय अमुक ज्ञेय के आकार हो गई अर्थात् उस पर्याय का ज्ञेय अमुक वस्तु हुई, अन्यथां अमुक ज्ञान पर्याय ने किस ज्ञेय को जाना, इसका परिचय कैसे प्राप्त होता ? वास्तविकता तो यह है कि उक्त पर्याय के साथ ज्ञेय का सम्बन्ध ही घटित नहीं होता। ऐसी स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001865
Book TitleSukhi Hone ka Upay Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Patni
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1999
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & philosophy
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy