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________________ भूमिका तत्त्वानुशासन और उसका वैशिष्टच डॉ० फूलचन्द जैन प्रेमी अध्यक्ष जैनदर्शन विभाग, सम्पूर्णानन्द सं० वि०, वाराणसी अध्यात्म-प्रधान जैनधर्म में ध्यान-योग और तप की साधना पद्धति का महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है । प्राकृत के जैन आगमों में साधना के सूत्र सर्वत्र देखने को मिल जाते हैं । आचार्य कुन्दकुन्द, स्वामी पूज्यपाद, आचार्य शुभचन्द्र आचार्य हरिभद्र, आचार्य हेमचन्द्र प्रभृति अनेक जैनाचार्यों ने स्वतंत्र रूप से योग-ध्यान विषयक-विशाल साहित्य की रचना करके आध्यात्मिक-पथ पर अग्रसर जीवों का मार्गदर्शन किया। किन्तु पिछली कुछ शताब्दियों में जैनेतर धार्मिक क्रियाकाण्डों के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धाओं से जैनधर्म भी अछूता न रहा और योग, ध्यान, सामायिक, तप आदि आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान करने वाले तत्त्वों की साधना जीवन में गौण हो गई और बाह्य क्रियाकाण्डों की प्रधानता हो गई। इसीलिए इनकी महत्ता से परिचित कराने के लिए हमारे आचार्यों ने बीच-बीच में स्वयं साधना द्वारा आदर्श उपस्थित करके आगमों के अनुसार तथा प्राचीन आचार्यों द्वारा प्रतिपादित पद्धति के अनुसार ग्रंथों की रचना करके इस साधना को जीवन प्रदान करते रहे। इसी योग ध्यान साधना का पद्धति का प्रस्तुत महान् ग्रंथ 'तत्त्वानुशासन' है । ई० सन् की ११वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत भाषा में रचित इस ग्रन्थ में मात्र २५९ श्लोक हैं किन्तु विद्वान् लेखक ने सम्पूर्ण साधना पद्धति के प्रमुख सभी विषयों को सरल भाषा में इस तरह प्रस्तुत किया है मानो 'गागर में सागर' भर दिया हो। यद्यपि इस ग्रन्थ के रचयिता के सम्बन्ध में विद्वानों में कुछ मतभेद है। वस्तुत: प्राचीन आचार्यों द्वारा रचित ग्रन्थों के कर्तृत्व, रचना-काल आदि के सम्बन्ध में मतभेद कोई नयी बात नहीं है। अनेक प्राचीन-प्रामाणिक उच्चकोटि के अनेक ग्रन्थ-रत्न तो आज भी अज्ञातकर्तृक के रूप में प्रसिद्ध ही हैं। वस्तुतः अपने स्वानुभव एवं ज्ञानप्रकाश से तिमिराच्छन्न सहस्रों जीवों की आत्मा को आलोकित करने वाले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001848
Book TitleTattvanushasan
Original Sutra AuthorNagsen
AuthorBharatsagar Maharaj
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1993
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size12 MB
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