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________________ १६६ धर्मानुप्रेक्षा भावार्थ:-धर्मको विख्यात करना प्रभावना गुण है। इसलिये उपदेशादिसे तो दूसरोंमें धर्मको प्रगट करे और अपनो आत्माको दस प्रकारका धर्म अंगीकार कर कर्मकलकसे रहित करके प्रगट करे उसके प्रभावना गुण होता है । जिणसासणमाहप्पं, बहुविहजुत्तीहि जो पयासेदि । तह तिव्वेण तवेण य, पहावणा णिम्मला तस्स ॥४२२॥ __अन्वयार्थः-[ जो बहुविहजुत्तीहि ] जो सम्यग्दृष्टि पुरुष अपने ज्ञानके बलसे, अनेक प्रकार की युक्तियोंसे वादियोंका निराकरण कर तथा न्याय व्याकरण छन्द अलंकार साहित्य विद्यासे उपदेश वा शास्त्रों की रचना कर [ तह तिव्वेण तवेण य ] तथा अनेक अतिशय चमत्कार पूजा प्रतिष्ठा और महान् दुद्धर तपश्चरणसे [ जिणसासणमाहप्पं ] जिनशासनके माहात्म्यको [ पयासेदि ] प्रगट करे [ तस्स पहावणा णिम्मला] उसके प्रभावना गुण निर्मल होता है । भावार्थ:-यह प्रभावना गुण बड़ा गुण है इससे अनेकानेक जीवोंके धर्मकी रुचि श्रद्धा उत्पन्न हो जाती है इसलिये सम्यग्दृष्टि पुरुषोंके अवश्य होता है । अब निःशंकित आदि गुण किस पुरुषके होते हैं सो कहते हैंजो ण कुणदि परतत्ति, पुणु पुणु भावेदि सुद्धमप्पाणं । इंदियसुहणिवेक्खो, णिस्संकाईगुणा तस्स ॥४२३॥ अन्वयार्थः-[ जो परतत्ति ण कुणदि ] जो पुरुष दूसरोंकी निन्दा नहीं करता है [ सुद्धमप्पाणं पुणु पुणु भावेदि ] शुद्ध आत्माको बार बार भाता (भावना करता) है [ इंदियसुहणिरवेक्खो ] और इन्द्रिय सुखकी अपेक्षा ( वांछा ) रहित होता है [तस्स णिस्संकाईगुणा ] उसके निःशंकित आदि अष्ट गुण अहिंसा धर्मरूप सम्यक्त्व होता है। भावार्थ:- यहां तीन विशेषण हैं उनका तात्पर्य यह है कि जो दूसरोंकी निन्दा करता है उसके निविचिकित्सा, उपगूहन, स्थितिकरण और वात्सल्य गुण कैसे हो ? इसलिये दूसरोंकी निन्दा न करे तब ये चार गुण होवें । जिसको अपनी आत्माके वस्तु स्वरूपमें शंका (सन्देह) हो तथा मूढदृष्टि हो सो अपनी आत्माको बारम्बार शुद्ध कैसे भावे ? इसलिये जो आपको शुद्ध भावे उसीके निःशंकित तथा अमूढ़द्दष्टि गुण होते हैं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001842
Book TitleKartikeyanupreksha
Original Sutra AuthorKartikeya Swami
AuthorMahendrakumar Patni
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size16 MB
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