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________________ १६ ] प्रस्तावना Y Carelu -4 4 4 र ५ - ४२५ 4 4 . infe + min71 ) र rai - fata + ktu प्रति ITIAN . 4 4./...... - Ram ... 3स [. - MAHR पूज्यश्री की अद्भुत वक्तृत्व कला व सौम्य स्वभाव पत्थर को भी पानी बना देता है। पूज्यश्री द्वारा पतिवाधित करीब ७१ पुण्यात्माओं ने संयम स्वीकार कीया है। उपधान, संघ प्रतिष्ठा, उद्यापन आदि के माध्यम से पूज्य श्री आबालवृद्ध हजारों आत्माओं के उद्धारक बने हैं। __ युवावर्ग में आध्यात्मिक उत्थान हेतु ग्रीष्मावकास में आध्यात्यिक ज्ञान शिविर व चातुमर्मास में रविवारीय शिविर का आयोजन आपश्री की निश्रा में समय-समय पर होता है । नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ से आपश्री द्वारा प्रसारित पत्राचार पाठ्यक्रम आधुनिक बुद्धिजीवी वर्ग को लिए सन्मार्ग का प्रदर्शन करता है ।। तीर्थाधिराज शत्रुजय महातीर्थ की भाव यात्रा एवं भवोभव के पुद्गल विसर्जन की क्रिया कराना आपश्री महत्वपूर्ण पसंदगी है । घर बैठे अपूर्व हर्षोल्लास से आबेहूब तीर्थ यात्रा का आभास हो जाता है। पुद्गल विसर्जन प्रक्रिया से निरर्थक पाप के भार से हल्कापन अनुभव होता है। आप श्री २५ शिष्य-प्रशिष्य रूप विशाल परिवार के अग्रणी है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001832
Book TitleKarmaprakrutigatmaupashamanakaranam
Original Sutra AuthorShivsharmsuri
AuthorGunratnasuri
PublisherBharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size9 MB
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